Vedrishi

आयुर्वेद जड़ी बूटी रहस्य

Ayurveda jadi buti Rahasya (set of 3 Vol.)

2,100.00

SKU 37446-DP00-0H Category puneet.trehan

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Subject : Ayurveda jadi buti Rahasya, Health, Yoga, Jadi
Edition : 2017
Publishing Year : N/A
SKU # : 37446-DP00-0H
ISBN : 9788189235444
Packing : Paperback
Pages : 1074
Dimensions : N/A
Weight : NULL
Binding : Paperback
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यह सर्वविदित है कि भूमंडल पर अब तक जितनी भी चिकित्सा पद्धतियाँ विकसित हुई है, उनमें सबसे प्राचीन पद्धति का आविर्भाव सर्वप्रथम भारत में आयुर्वेद के रूप में हुआ था l यह मुख्यतः वानस्पतिक पौधों पर आधारित चिकित्सा पद्धति है l सम्पूर्ण विश्व में आज विविध चिकित्सा पद्धतियों का प्रचलन हैं l चिकित्सा क्षेत्र में अनेक अनुसन्धान हुए है तथा चिकित्सा विज्ञान ने बहुत सी नई उपलब्धियां भी प्राप्त की है l इन सबके उपरांत भी आज दिनया की सबसे बड़ी आबादी पौधों पर आधारित चिकित्सा पद्धति पर ही निर्भर है विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार आज भी लगभग 75-80 प्रतिशत जनसंख्या औषधीय पादपों पर आधारित चिकित्सा पद्धतियों का आंशिक या पूर्णतया उपयोग कर रही है  l

आयुर्वेद हमें उचित आहार-विहार, उचित दिनचर्या, ऋतूचर्या, सद्वृत्तानुष्ठन (सदाचार पालन) तथा ज्ञान, तप व योग में तत्परता द्वारा तन-मन के रोगों से बचाव का मार्ग दिखता हैं l कदाचित रोग होने पर पूर्वोक्त उपायों के साथ ही रोगों की चिकत्सा-विधि भी सिखाता हैं l

आयुर्वेद की परंपरा के अंतर्गत भारत में औषधीय पौधों के गुणों का ज्ञान व उनसे सम्बंधित चिकित्सा की जानकारी वैदिक काल से ही बहुत समृद्ध रही हैं l ऋग्वेद मुख्य रूप से आयुर्वेद का सबसे प्राचीन उद्गम स्त्रोत है l इसके अनंतर अथर्ववेद में वनोषधियों द्वारा की जाने वाले चिकित्सा के विषय में विपुल व रोचक सामग्री मिलती हैं l वेदों की इस परंपरा में आयुर्वेद का प्रादुर्भाव हुआ, जो क्रान्तदर्शिनी ऋषि-प्रज्ञा का दिव्य एवं अमृतमय उत्स है l आधि-व्याधि से पीड़ित मानवता का शान्तिप्रद आश्रय है जन-जन के रोग शोक को हरने वाले शाश्वत शरण्य है l भारतीय ऋषियों में मानव मात्र के कल्याण के लिए इसे वैज्ञानिक रूप में प्रतिष्ठित किया हैं l

भारत में ऋषि मुनि प्रायः जंगलों में स्थापित आश्रमों व गुरुकुलों में ही निवास करते थे l वहां जड़ी बूटियों का अनुसन्धान व उपयोग निरंतर करते रहते थे l जनसाधारण का भी इनसे सीधा जुडाव था l वन उपवन की बहुलता वाले इस देश में प्रकृति एवं पेड़ पौधों के प्रति गहन आत्मीयता रही है l इस कारण इनका परिचय व उपयोग वनवासी व ग्रामवासी जनों से लेकर उच्चवर्ग तक प्रचलित था l छोटे-छोटे ग्राम एवं वस्तियों में जड़ी बूटियों के आधार पर चिकित्सा करने वाले वैद्यों के द्वारा भी इनकी जानकारी एवं उपयोग जन-जन तक प्रसारित हो चूका था l अशोक के शिलालेखों से विदित होता है कि सार्वजनिक स्थानों पर एवं राजमार्गों के साथ चिकित्सापयोगी जड़ी-बूटियां विपुल मात्र में लगे जाती थी, जो जन-जन के लिए चिकित्सा हेतु बहुत सहज रूप में सुलभ रहती थी l इस प्रकार उत्तम परिपाक एवं रस से संपन्न वनौषधियों से जनता की चिकित्सा की जाती थी l इनका प्रभाव भी चमत्कारी होता था क्योकि ये ताजा एवं रसवीर्य संपन्न होती थी l

आयुर्वेद जड़ी बूटी रहस्य पुस्तक के प्रथम प्रकाशन के रूप में सन् 2005 में हमने जो एक छोटा सा प्रयास किया था, उसकी व्यापकता स्वीकार्यता से उत्साहित होकर ही इस बार इस ग्रन्थ को विस्तृत व सुसज्जित रूप देकर तीन खण्ड में प्रकाशित किया है l पूर्वप्रकाशित पुस्तक लाहों की संख्या में प्रसारित हुई थी l आस्था चेनल के माध्यम से भी आयुर्वेदीय जड़ी बूटी चिकित्सा बहुत लोकप्रिय हुई है l अत एव जनता की मांग को देखता हुए प्रस्तुत संस्करण विस्तृत सामग्री के साथ तीन खण्डों में प्रकशित किया गया है l इसमें 550 से अधिक औषधीय पेड़ पौधों का विवरण आधुनिक वैज्ञानिक एवं आयुर्वेदीय दृष्टिकोण से विस्तृत रूप में प्रस्तुत किया है l साथ में सुगम चिकित्सीय प्रयोगों का वर्णन करते हुए इसे सर्वागीण बनाने का प्रयास किया है l

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