Vedrishi

Free Shipping Above 1000 On All Books | 5% Off On Shopping Above 10,000 | 15% Off On All Vedas,Darshan, Upanishad | 10% Off On Shopping Above 25,000 |
Free Shipping Above 1000 On All Books | 5% Off On Shopping Above 10,000 | 15% Off On All Vedas,Darshan, Upanishad | 10% Off On Shopping Above 25,000 |

गर्भ विज्ञान

Garbh Vigyan

300.00

SKU 37501-AS00-0M Category puneet.trehan

Out of stock

Subject : Garbh Vigyan
Edition : 2021
Publishing Year : 2021
SKU # : 37501-AS00-0M
ISBN : N/A
Packing : Hardcover
Pages : 121
Dimensions : 18X22X2
Weight : 200
Binding : Paperback
Share the book

गर्भ विज्ञान को समझने की तथा गर्भ संस्करण करने की आज अत्यधिक आवश्यकता है क्योंकी आधुनिक विज्ञान के आगे बढने से बहुत सारी बातें स्पष्ट हो रही है, जो पहले नहीं थीं । मनुष्य जीवन अविरत विकसीत हो रहा है । तो मनुष्य की यह मनीषा होती है की अगली पीढी उससे बेहतर आये, कम से कम उसके जैसी तो हो ही । इस के आयोजन का सर्वश्रेष्ठ काल गर्भ का काल है क्यों की न्युरोन्स (Neurons) गर्भकाल में एक बार बनते है । फिर जीवन में कभी नहीं बनते । प्रकार की बीमारी आये तो उसे समाप्त करना कठिन होता है, यह गर्भकाल में किसी भी आधुनिक विज्ञान भी कहता है। इसलिए जो संतान आनेवाला है वह स्वस्थ हो, सुंदर हो इसलिए गर्भ विज्ञान को समझने की तथा गर्भ संस्कार को क्रियान्वम करने की बहुत आवश्यकता होती है ।- – दिव्य आत्मा अततरण का जो प्रयोग है वह मन-बुद्धि-चेतना के स्टार का है । गर्भ विज्ञान का मुख्य प्रयोजन तो दिव्य आत्मा अवतरण अर्थात् दिव्य संतति की प्राप्ति का है । परंतु उसका व्यवहारिक प्रयोजन स्वस्थ, सुंदर, क्रियाशील संतति का सर्जन है ।
का संस्कृति आर्य गुरूकुलम न केवल संस्कार का परंतु स्वस्थता को ध्यान में रखते हुए, गर्भ- संस्कार एवं गर्भाधान चिकीत्सा का कार्य कर रहा है । गर्भविज्ञान की आवश्यकता क्यों है आज के समाज में सभी माता-पिता अपनी संतान को श्रेष्ठ बनाना चाहते हैं। उसे हर प्रकार से निपुण, हर ओर से सुरक्षित व स्वस्थ बनाना चाहते हैं। उसके लिए उसके जन्म से लेकर लगभग पूरे जीवन प्रयास करते हैं। उसके लिए अच्छे से अच्छा भोजन उपलब्ध कराकर, उसे आधुनिक युग की श्रेष्ठतम (और अधिकतर सबसे मूल्यवान) शिक्षा देकर, उसे विभिन्न तरह के खेल, कलाएं आदि सिखाकर सभी माता-पिता की अपेक्षा होती है कि वह पूर्णतया आत्मनिर्भर हो, जीवन में सफल व स्वस्थ हो। सब अपनी संतति को समर्थ बनाना चाहेंगे, जो स्वतंत्र हो, समाज को कुछ दे पाए या ऐसी जो जीवन भर निर्भर (dependent) हो, किसी और की बुद्धि से चले और परतंत्र हो ? यदि हम शरीर के स्तर पर, मन के स्तर पर, चेतना के स्तर पर – स्वतंत्र व समर्थ संतति चाहते हैं तो गर्भ विज्ञान की आवश्यकता है। मनुष्य को जीवन में जो भी रोग होते हैं, उनमें से ७०% रोगों की संभावना गर्भ में ही बन जाती है। पूरे जीवन की रूपरेखा (blueprint) गर्भ में बन जाती है। उस समय पंचकोश की जैसी mapping करेंगे, जैसा उसका ध्यान रखेंगे, वैसे ही उनका विकास होगा। संतान का स्वास्थ्य उस पर आधारित रहेगा। इसकी आज आवश्यकता है क्योंकि बच्चों के स्वास्थ्य का, उनकी रोग प्रतिरोधक शक्ति का, दिन-प्रतिदिन पतन हो रहा है, जहाँ उन्हें अच्छे स्वास्थ्य की आवश्यकता है, आत्मबल बढ़ाने की आवश्यकता है। इसलिए गर्भ विज्ञान को जानना व उसके कार्य आवश्यक हैं। जैसे, जब कोई बड़ा, कई मंजिल का भवन बनता है तो उसकी नींव को दृढ़ करने पर ध्यान दिया जाता है, उसी तरह गर्भ मनुष्य के जीवन की नींव है। उसे जितना दृढ़, जितना मज़बूत बनाएंगे, आने वाली संतति, पीढ़ियाँ उतनी ही दृढ़ होंगी। इसलिए बच्चों के स्वास्थ्य पर सबसे बाद प्रभाव गर्भ का होता है।

Weight 370 g

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Garbh Vigyan”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recently Viewed

Register

A link to set a new password will be sent to your email address.

Your personal data will be used to support your experience throughout this website, to manage access to your account, and for other purposes described in our privacy policy.

Lost Password

Lost your password? Please enter your username or email address. You will receive a link to create a new password via email.

Close
Close
Shopping cart
Close
Wishlist