आयुर्वेद की जान वनौषधि विज्ञान

Ayurved Ki Jan Vanoushdhi Vigyan

Hindi Other(अन्य)
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  • By : vaidya Dinesh Chandra
  • Subject : Ayurved Ki Jan Vanoushdhi Vigyan
  • Category : Ayurveda
  • Edition : 2017
  • Publishing Year : N/A
  • SKU# : N/A
  • ISBN# : 8188521507
  • Packing : N/A
  • Pages : 642
  • Binding : Hardcover
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न . चाहे कोई भी चिकित्सा पद्धति- (एलोपैथी, होम्योपैथी आदि) हो, सभी पद्धतियों में औषध-निर्माण का मूल आधार प्राकृतिक वनस्पतियाँ जड़ी-बूटियाँ (वनौषधियाँ) ही होती हैं । हाँ, इन पद्धतियों की दवाओं में न तो मूल द्रव्य की गन्ध रहती है, और स्वाद ही ! किन्तु आयुर्वेद में तो वनौषधियों को प्राकृतिक रूप में ही चूर्ण, पाक, आसन, अरिष्ट, अवलेह आदि बनाकर प्रयोग में लाया जाता है।

फलतः सभी औषधियों का स्वाद और गन्ध यथावत बनी रहती हैं। इसी के परिणाम स्वरूप आयुर्वेदिक पद्धति द्वारा चिकित्सा किए जाने पर रोग न केवल जड़ से नष्ट हो जाता है, वरन उसकी पुनरावृत्ति भी नहीं होती । स्वास्थ्य प्रदान करने के साथ ही आयुर्वेदिक औषधियाँ सेवन करने वाले बल एवं कान्ति का सवर्द्धन करने में भी सहायक होती हैं।

जड़ी-बूटियों के बारे में बाजार में अनेक ग्रन्थ उपलब्ध है, किन्तु उनमे वनौषधियों के चित्र न होने के कारण विषयवस्तु का वर्णन कुछ अपूर्ण-सा (अधूरा) जान पड़ता है। इसी कमी को पर्याप्त सीमा तक यह ग्रन्थ पूरा कर सकेगा, ऐसा हमारा विश्वास है।

इस ग्रन्थ में वनस्पतियों के चित्र तो हैं ही, प्रत्येक जड़ी-बूटी के संक्षिप्त एवं सांकेतिक गुण-धर्म भी वर्णित हैं, साथ ही अनेक भाषाओं में उनके नामों का उल्लेख भी किया गया है, ताकि सभी भारतीय इसका लाभ ले सकें। -

इस ग्रन्थ के सभी चित्र 'धन्वन्तरि ' मासिक के वनौषधि विशेषांक सात खण्डों से लिए गये हैं। अनेक आयुर्वेद अन्वेषकों के प्रयास से यह चित्र एकत्र हो पाये थे। इन्हें एक ग्रन्थ में समाहित करके प्रकाशित करने के सत्परामर्श एवं सौहार्द्र-पूर्ण स्वीकृति के लिए आदरणीय श्री दाऊदयाल जी गर्ग स्वामी एवं सम्पादक- धन्वन्तरि (मासिक) विजयगढ़ (अलीगढ़) की हार्दिक कृतज्ञता प्रकट करते हुए, उन सभी विद्वान मनीषियों का आभार प्रकट करता हूँ। जिनका प्रत्यक्ष या प्ररोक्ष रूप में ग्रन्थ तैयार होने में आशीर्वाद व सहयोग रहा है।

सर्वेभवन्तु सुखिनः एवं जीवेम शरद : शतम् के शुभ सकंल्प के साथ सभी आयुर्वेद प्रेमियों के कर-कमलों में यह ग्रन्थ रत्न अर्पित करते हुए हमें अतीव हर्ष हो रहा है। -

आशा ही नहीं, हमें पूर्ण विश्वास है कि यह सद्ग्रन्थ भी अपने सुधी पातकों का भरपूर्ण स्नेह और आशीष भी उसी भाति प्राप्त करेगा, जैसा कि हमारे यहाँ से प्रकाशित अन्य आयुर्वेदिक ग्रन्थों ने प्राप्त किया है।