संस्कृत साहित्य एवं दर्शनशास्त्र

Sanskrit Sahitya Evam Darshanshastra

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  • By : Dr Vinay Kumar Sinh
  • Subject : Sanskrit Sahitya Evam Darshanshastra
  • Category : Sanskrit Literature
  • Edition : 2019
  • Publishing Year : 2019
  • SKU# : N/A
  • ISBN# : 9788183903066
  • Packing : Hardcover
  • Pages : 231
  • Binding : Hardcover
  • Dimentions : 14X22X4
  • Weight : 600 GRMS

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वेद, वेदांग, उपवेद आदि के अतिरिक्त संस्कृत वाङ्मय में दर्शनशास्त्र का वाङ्मय भी अत्यंत विशाल है। पूर्वमीमांसा, उत्तर मीमांसा, सांख्य, योग, वैशेषिक और न्याय-इन छह प्रमुख आस्तिक दर्शनों के अतिरिक्त पचासों से अधिक आस्तिक-नास्तिक दर्शनों के नाम तथा उनके वाङ्मय उपलब्ध हैं जिनमें आत्मा, परमात्मा, जीवन, जगत्पदार्थमीमांसा, तत्त्वमीमांसा आदि के सन्दर्भ में अत्यंत प्रौढ़ विचार हुआ है। आस्तिक षड्दर्शनों के प्रवर्तक आचार्यों के रूप में व्यास, जैमिनि, कपिल, पतंजलि, कणाद, गौतम आदि के नाम संस्कृत साहित्य में अमर हैं। अन्य आस्तिक दर्शनों में शैव वैष्णव, तांत्रिक आदि सैकड़ों दर्शन आते हैं। आस्तिकेतर दर्शनों में बौद्ध दर्शनों, जैनदर्शनों आदि के संस्कृत ग्रंथ बड़े ही प्रौढ़ और मौलिक हैं। इनमें गंभीर विवेचन हुआ है तथा उनकी विपुल ग्रंथराशि आज भी उपलब्ध है। चार्वाक, लोकायतिक, गार्हपत्य आदि नास्तिक दर्शनों का उल्लेख भी मिलता है। वेदप्रामण्य को मानने वाले आस्तिक और तदितर नास्तिक के आचार्यों और मनीषियों ने अत्यंत प्रचुर मात्र में दार्शनिक वाङमय का निर्माण किया है। दर्शन सूत्र के टीकाकार के रूप में परमाद्रत शंकराचार्य का नाम संस्कृत साहित्य में अमर है।