वेदांत में ब्रह्मा का स्वरुप एवं जीवन दर्शन
Vedant men Brahma ka Swaroop evam Jeevam darshan
By: Rammurti Sharma
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- By : Rammurti Sharma
- Subject : Vedant men Brahma ka Swaroop evam Jeevam darshan
- Category : Darshan
- Edition : 2021
- Publishing Year : 2021
- SKU# : N/A
- ISBN# : 9788194165682
- Packing : hardcover
- Pages : 70
- Binding : hardcover
- Dimentions : 14X22X6
- Weight : 400 GRMS
Keywords : Vedant men Brahma ka Swaroop evam Jeevam darshan वेदांत दर्शन pdf वेदांत दर्शन ppt शंकराचार्य के वेदांत दर्शन को समझाइए वेदान्त दर्शन वेदांत दर्शन और शिक्षा वेदांत पुस्तक
प्रस्तुत प्रकरण ग्रन्थ के अन्तर्गत वेदान्तविषयक अनुशीलन के निष्कर्षमें पढ़ा- पढ़ाया जा रहा है।
सूत्र वर्तमान हैं। मैंने अपने प्रमुख ग्रन्थों-शंकराचार्य और उनका मायावाद अद्वैतवेदान्तः इतिहास तथा सिद्धान्त, Some Aspects of Advaita Philosophy, Glimpses of Vedanta Encyclopaedia of Vedanta. में वेदान्त-विषयक जो कुछ कहा है, वही इस स्वल्पकाय ग्रन्थ का प्रमुख आधार है। वैसे तो, उपनिषदें ही भारतीय दर्शन की गंगोत्री हैं, किन्तु वेदान्तदर्शन के प्रमुख सिद्धान्त अद्वैतवाद के परमाचार्य शंकराचार्य ही है। ये शंकराचार्य ही थे, जिन्होंने वेदान्त के एकात्मवादी उपदेश को भारतवर्ष के कोने-कोने में पहुंचाया था और ये भी शंकराचार्य ही थे, जिन्होंने ब्रह्म विधा का प्रचार करके समस्त मानवता को एक सूत्र में गुम्फित करने का सफल प्रयास किया था। यही कारण है कि आज भी शांकर-वेदान्त भारतवर्ष की नहीं, समस्त विश्व का कष्ठहार बन गया है, तथा विश्व के अनेकानेक देशों जहाँ तक वेदान्त के ब्रह्म तत्त्व का सम्बन्ध है, इसका महत्त्व केवल आध्यात्मिक दृष्टि से ही नहीं है, अपितु व्यावहारिक जीवन दर्शन की दृष्टि से भी ब्रह्मतत्त्वदर्शन सम्यक् उपादेय है। यदि प्रस्तुत परिशीलन में वर्त्तमान इंगित से अध्येताओं का कुछ भी लाभ हुआ तो मुझे परम हर्ष होगा।
मुझे प्रसन्नता है कि मेरा यह प्रयास भीमसेन पाठी चेरिटेबल ट्रस्त-वरहमपुर (उड़ीसा) द्वारा अर्न्तराष्ट्रिय स्तर पर प्रथम घोषित कर पुरस्कृत किया गया है। इसके लिए मैं ट्रस्ट के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करता हूं, तथा
इस प्रकार के पुण्यकत्यों के लिए ट्रस्ट के अधिकारियों को शतश: बुर्द्धापन प्रस्तुत करता हूं | परम श्रद्धेय महन्त डॉ. अयोध्या दास जी (ट्रस्ट के कार्यकारी, अध्यक्ष) ने भी आशीर्वचन लिखकर मुझे अनुगृहीत किया है। मैं श्री महन्त जी का ऋणी हूं ।
सन्त प्रवर, पूर्व मुख्यन्यायाधीश तथा सम्प्रति अध्यक्ष, राष्ट्रिय मानवाधिकार आयोग एवं केन्द्रीय संस्कृत परिषद, श्रदधेय-मनीषी रंगनाथ जी मिश्र का अतिशय कृतज्ञ हूं कि उन्होंने इस ग्रन्थ की प्रस्तावना लिखकर, मुझे उपकृत किया है ।
अपने जामाता डॉ. राकेश शर्मा, एम.बी.बी.एस. को, जो मुझे वेदान्त दर्शन के अनुशीलनार्थ सदा प्रोत्साहित करते रहते हैं, सहर्ष धन्यवाद देता हूं। अन्त में, श्री श्याम मल्होत्रा, स्वत्वाधिकारी, ईस्टर्न बुक लिंकर्स भी धन्यवाद के पात्र हैं, जो मेरी प्रत्येक कृति के प्रकाशनार्थ साग्रह तत्पर रहते हैं ।