शतकत्रयम्
ShatakTrayam
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- By : Lalit Kumar Mandal
- Subject : Neeti Shrangar
- Category : Sanskrit Literature
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Keywords : Bhartri Hari Neeti Shatakam
ग्रन्थ का नाम – शतकत्रयम्
सम्पादक एवं अनुवादक – ललित कुमार मण्डल
आचार्य भर्तृहरि शास्त्र, सिद्धान्त, नीति एवं कलाओं के ज्ञाता और अध्येता थे। इनका मनुष्यस्वभाव-विषयक दर्शन और प्रकृतिविषयक अवलोकन बहुत ही सूक्ष्म है। भर्तृहरि ने तीनों शतकों में मनुष्य के सम्पूर्ण जीवन-दर्शन की झलक मिलती है। कवि संस्कृत साहित्य एवम् भारतीय जीवन दर्शन के अनुपम रत्न थे। रचनाओं में भाषा और भाव का मनोहर सामञ्जस्य कवि भर्तृहरि की लोकप्रियता का कारण है। नीतिशतकम् में कवि ने व्यावहारिक जीवन की सम-विषम परिस्थितियों का सुन्दर-चित्रण किया है। इसमें सज्जन-प्रशंसा, दुर्जन-निन्दा, परोपकार, धैर्य, दैव(भाग्य), कर्म की महिमा आदि का विशेषरूप से वर्णन करके मानव-समाज को नैतिक एवम् व्यवहारिक कुशलता की शिक्षा दी है। श्रृङ्गारशतकम् में स्त्री और पुरुष के प्रभावशाली श्रृङ्गार एवम् स्त्रियों के हाव-भाव का विस्तृत वर्णन मिलता है। वैराग्यशतकम् में सांसारिक भोग – विलास, तृष्णा, रूप आदि विषय, गर्व आदि की निन्दा करते हुए वृद्धावस्था, सन्तोष और शान्ति, इन्द्रिय-दमन, योगी, संसार की नश्वरता, विरक्ता आदि विषय वर्णित हैं।
प्रस्तुत संस्करण में भर्तृहरि शतक की हिन्दी व्याख्या के साथ-साथ इस ग्रन्थ पर सर्वाधिक प्राचीन टीका जैन विद्वान धनसारगणि द्वारा लिखित संस्कृत टीका जो कि प्रो. कोसंबी द्वारा सम्पादित और प्रकाशित थी। इस टीका को प्रस्तुत संस्करण में सम्मलित किया गया है।
इस ग्रन्थ के अध्ययन और इसमें लिखे हुए नीति वाक्यों की प्रेरणा से पाठक अत्यन्त लाभान्वित होंगे।