वेदों में लोक कल्याण
Vedon men Lok Kalyan
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- By : Dr. Kapildev Dvivedi
- Subject : About Vedic Teaching
- Category : Vedic Dharma
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Keywords : Vedic Teachings
पुस्तक का नाम – वेदों में लोक – कल्याण
लेखक का नाम – डॉ. कपिलदेव द्विवेदी
वेद आर्य संस्कृति के आधार स्तम्भ है। ये आर्यजाति के प्राण स्वरूप है। ये मानवमात्र के प्रकाश-स्तम्भ है। विश्व को सभ्यता और संस्कृति का ज्ञान देने का श्रेय वेदों को है। वेदों में धर्म, ज्ञान, विज्ञान, दर्शन, आचारशिक्षा, आयुर्वेद, राजनीतिशास्त्र, समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र आदि से संबंद्ध सामग्री प्रचूर मात्रा में विद्यमान है। इसमें लोक-कल्याण से सम्बद्ध सामग्री भी सैकड़ों मन्त्रों में विद्यमान है। प्रस्तुत ग्रन्थ में उसका ही विवेचन और विश्लेषण किया गया है।
प्रस्तुत ग्रन्थ तीन खण्डो़ में विभक्त किया गया है – 1 विश्वकल्याण 2 राष्ट्रकल्याण 3 जनकल्याण
प्रथम भाग में वेदों में प्राप्त विश्वकल्याण सम्बन्धी तथ्यों का निरूपण किया गया है। इसमें प्रमुख विषय निम्न है – संस्कृति, मित्रता, अभय, योगक्षेम, माधुर्य, व्रत और दीक्षा, सुख – शान्ति, सत्य और अंहिसा।
द्वितीय भाग में वेदों में प्राप्त राष्ट्रकल्याण सम्बन्धी तथ्यों का निरूपण है। इसमें मुख्य विषय सम्मलित है –
राष्ट्र के धारक तत्त्व, सत्य, ब्रह्म, राष्ट्र का स्वरूप, राष्ट्र रक्षा, सभा-समिति, राजा के कर्त्तव्य, स्वराज्य, पर्यावरण।
तृतीय भाग में वेदों में प्राप्त जनकल्याण सम्बन्धी तथ्यों का निरूपण किया गया है। इसमें जनकल्याण समबन्धी सभी आवश्यक बातों का निर्देश किया गया है। इसमें मुख्य रूप से ये विषय लिए गए है – जीवन – दर्शन, ब्रह्म, ईश्वर, सत्य और श्रद्धा, अभय, दुर्गुणों से बचें, कृषि, व्यापार, सद्गुण, सुमति और पर्यावरण है।
तीनों खण्डों में प्रत्येक शीर्षक के अन्तर्गत संबद्ध मन्त्र दिये गये है।
आशा है कि विद्वत् जन ग्रन्थ के विषयों को हृदयंगम करेंगे।