प्रौढ़ रचनानुवाद कौमुदी
Praudh Rachananuvad Kaumudi
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- By : Dr. Kapildev Dvivedi
- Subject : Sanskrit Learning
- Category : Sanskrit Grammer
- Edition : 2018
- Publishing Year : N/A
- SKU# : N/A
- ISBN# : 9789351461081
- Packing : N/A
- Pages : 440
- Binding : Paper Cover
- Dimentions : 8.50 X 5.50 INCH
- Weight : 550 GRMS
Keywords : Vyakaran Grammar Sanskrit learning प्रौढ़ रचनानुवाद कौमुदी प्रौढ़ रचनानुवाद कौमुदी in hindi प्रौढ़ रचनानुवाद कौमुदी english Praudh Rachananuvad Kaumudi
प्रौढ़ रचनानुवादकौमुदी
पुस्तक का नाम – प्रौढ़ रचनानुवादकौमुदी
लेखक का नाम – डॉ. कपिलदेव द्विवेदी
इससे पूर्व प्रथम दो पुस्तकें प्रारम्भिक रचनानुवाद कौमुदी और रचनानुवाद कौमुदी पढ़ना अत्यन्त आवश्यक है क्योंकि प्रस्तुत पुस्तक प्रौढ़ रचनानुवाद कौमुदी संस्कृत के प्रौढ़ विद्यार्थियों को प्रौढ़ संस्कत सिखाने को लक्ष्य में रखकर लिखी गई है।
इस पुस्तक का उद्देश्य अति सरल और सुबोध ढंग से अनुवाद और निबन्ध सिखाना है। जिससे विद्यार्थी 2 वर्ष में संस्कृत में निबन्ध तथा श्लोकों का हिन्दी अनुवाद का अभ्यास कर सकता है।
इस पुस्तक में प्रत्येक अभ्यास में 25 नए शब्द तथा कुछ व्याकरण के नियम दिए गए हैं। शब्दकोश और व्याकरण से सम्बद्ध सभी मुहावरे प्रत्येक अभ्यास में सिखाए गए हैं।
इस पुस्तक में 60 अभ्यास हैं। प्रत्येक अभ्यास दो पृष्ठों में हैं। बाईं ओर शब्दकोश और व्याकरण हैं, दाईं ओर संस्कृत में अनुवादार्थ गद्य तथा संकेत हैं।
शब्दकोश चयन में निम्न दो बातों का मुख्यतः ध्यान रखा गया है – 1 जिन भावों के लिए प्राचीन संस्कृत ग्रन्थों में कोई शब्द मिल सकता है, वहाँ उन संस्कृत शब्दों को अपनाया गया है। जो प्राचीन संस्कृत शब्द नवीन अर्थों का बोध करा सकते हैं, उनका नवीन अर्थों में प्रयोग किया गया है। जिन शब्दों के लिए संस्कृत में प्राचीन शब्द नहीं हैं, उनके लिए नए शब्द बनाए गए हैं। कहीं पर ध्वन्यनुकरण के आधार पर और कहीं पर भावानुकरण के आधार पर।
पुस्तक में प्रत्येक अभ्यास में कुछ शब्दों और धातुओं का प्रयोग सिखाया गया है। इस पुस्तक में 300 नियमों में संस्कृत व्याकरण को समाप्त किया गया है। इस पुस्तक में यह भी प्रयत्न किया गया है कि ह्विटनी, काले, आप्टे आदि विद्वानों के द्वारा निर्दिष्ट नियम या विवरण भी न छूटने पावें।
इस पुस्तक के अन्त में अत्यन्त उपयोगी 15 परिशिष्ट दिए गए हैं। इनका विशेष विवरण विषय सूची तथा विषयानुक्रमणि में दिये गये हैं। परिशिष्ट भाग में शब्दरूप संग्रह, 1 से 100 तक सम्पूर्ण सङ्ख्याऐं, धातुरूप – संग्रह, धातुरूप कोश, प्रत्यय विचार, सन्धि विचार, पत्रादि लेखन प्रकार, निबन्ध माला, अनुवादार्थ गद्य संग्रह, सुभाषित मुक्तावली, पारिभाषिक शब्दकोश, हिन्दी संस्कृत शब्दकोश, विषयानुक्रमणिका दिये हैं।
आशा है कि संस्कृत प्रौढ़ छात्रों के लिए प्रस्तुत संस्करण अत्यन्त लाभप्रद सिद्ध होगा।