पुस्तक के बारे दो शब्द
आज बाजार में आयुर्वेद के विषय पर अनेक पुस्तकें उपलब्ध हैं, परन्तु विषय वस्तु के अधूरेपन और चिकित्साविज्ञान के अनुरूप न होने के कारण वे जिज्ञासुओं एवं चिकित्सकों के लिये किसी काम का नहीं है। इन पुस्तकों के निरर्थक होने के अनेक कारण हैं। इनमें विषय का या औषधियों का कोई क्रम नहीं है। इतना ही नहीं, अनेक पुस्तकों में तो रोगों के विवरण भी छिट-पुट हैं। ऐसी कोई पुस्तक हमारी दृष्टि में अब तक नहीं आयी है, जो एक पुस्तक विषय रोग, क्रम एवं चिकित्सा के लिए औषधियों योगों के दृष्टिकोण से सम्पूर्ण हो। एक-दो पुस्तकें सम्पूर्ण हैं; परन्तु वे कई खण्ड में हैं और आधुनिक रोगों का उनमें कोई विवरण उपलब्ध नहीं है। इस तरह ये पुस्तकें चिकित्सा के लिये आधे-अधूरे विवरण के कारण निरर्थक हो जाती हैं। प्रस्तुत पुस्तक में हमने इन दुर्बलताओं का ध्यान रखा है। यह पुस्तक फोड़े-फुन्सी जैसे क्षुद्र रोग से लेकर तमाम जटिल रोगों सहित नपुंसकता, बन्ध्यापन, एड्स, कैंसर आदि की चिकित्सा के लिये उपयोगी है। यह ठीक है कि कैंसर एवं एड्स जैसे रोगों की चिकित्सा प्रमाणिक रूप में आयुर्वेद में भी उपलब्ध नहीं है, तथापि यह कहना उचित नहीं होगा कि आयुर्वेदिक ज्ञान के आलोक में इनका निदान नहीं ढूँढा जा सकता। हमने इन जटिल रोगों के कुछ तांत्रिक एवं आयुर्वेदिक सूत्रों एवं औषधि योगों का वर्णन इस पुस्तक में किया है। जिन तांत्रिकों एवं साधुओं ने इन सूत्रों को उपलब्ध कराया है, उनका दावा है कि इनसे ये रोग ठीक हो जाते हैं। इस पर भी ये सूत्र परीक्षित नहीं ये है। किन्तु आयुर्वेद या किसी भी चिकित्सा पद्धति में हमें जानकारों के दावों पर ही विश्वास करना पड़ता है। अतः इन दवाओं एवं सूत्रों का परीक्षण इन रोगों के रोगियों पर किया जा सकता है। इनसे हानि नहीं होगी। लाभ ही होगा, परन्तु कितना होगा यह कहना कठिन है।
आयुर्वेदिक चिकित्सा भारत में प्राचीन काल से प्रचलित है प्रस्तुत पुस्तक "धन्वन्तरि कृत आयुर्वेदिक निघण्टु" प्रसिद्ध दैव वैध धनवन्तरि की महान कृति है अत: यह पुस्तक प्रत्येक स्त्री-पुरुष की काया-कल्प करने में क्षम है।
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