भारतीय जीवन में गौ एक अमूल्य निधि है। गौ प्रत्येक जनमानस द्वारा रक्षणीय है। भारतीय आयुर्वेद में 'पंचगव्य' एक प्रमुख औषधि के रूप में प्रसिद्ध है, जो गौ के दूध, दही, घी, मल (गोबर) और मूत्र से बनती है। गौ का दूध सभी प्रकार से मनुष्य के लिए लाभप्रद है। गौ की महिमा का वर्णन करते हुए महाभारत में कहा गया है कि
यया सर्वमिदं व्याप्तं जगत् स्थावरजङ्गमम् ।
तां धेनुं शिरसा वन्दे भूतभव्यस्य मातरम् ।।
भारतभूमि पर प्राचीन काल से ही गौ के पालन-पोषण के विशेष सन्दर्भ प्राप्त के रूप में भगवान् ने युक्त होना होते हैं। भारतीय संस्कृति में गौ एक पशु के रूप में नहीं अपितु माता वन्दनीय है। गौ की महत्ता का प्रतिपादन इसी उक्ति से हो जाता है कि जन्म लेने के लिए जिस स्थान विशेष की अभिलाषा की है वह गौओं से चाहिए
गावो मे अग्रतः सन्तु गावो मे सन्तु पृष्ठतः।
गावो मे सर्वतः सन्तु गवां मध्ये वसाम्यहम् ।।
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