Vedrishi

भारतीय चिंतन परंपरा में संस्कार

Bhartiya Chintan Parampara Men Sanskar

750.00

Subject: Adhyatm Ke Aadhar Stambha
Edition: 2016
Publishing Year: 2016
ISBN : 9788190000000
Pages: 132
BindingPaperback
Dimensions: 14X22X4
Weight: 250gm

मनुष्य के सम्पूर्ण जीवन से जुड़े हुए संस्कारों का वर्णन प्राचीन काल से ही होता चला आ रहा है। भारतीय संस्कृति में प्रसिद्ध आश्रम-वर्णादि में प्रमुख षोडश संस्कार अपनी वैज्ञानिकता एवं व्यावहारिकता की वजह से प्रसिद्ध हैं। दान-धर्मादि के साथ-साथ मनुष्य के सम्पूर्ण जीवन से जुड़े संस्कारों का वर्णन वेदों, उपनिषदों, पुराणों आदि प्राचीन शास्त्रों में प्राप्त है। भारतीय परम्परा में धर्माशास्त्रों का निर्माण मनुष्य के जीवन के प्रत्येक पहलुओं पर प्रकाश डालने के लिए किया गया। संस्कार भारतीय संस्कृति का प्राण है। संस्कार का सामान्य अर्थ है- परिष्कारित किया हुआ । संस्कार के अभाव में मनुष्य का जीवन पशु के समान होता है ।

जन्म से प्राप्त स्वभावों में परिष्कार करने के लिए ही संस्कारों की कल्पना की गयी। कुछ पूर्वजन्म के संस्कार और कुछ इस जन्म के संस्कार, दोनों मिलकर मनुष्य के जीवन को गौरवान्वित बनाते हैं। गर्भावस्था में माता-पिता द्वारा किये गये विभिन्न क्रिया-कलापों का बच्चे पर प्रभाव पड़ता है यह अभिमन्यु के उदाहरण सिद्ध हो सकता है। संस्कारों को करने का जो समय निश्चित किया गया है उसकी भी वैज्ञानिकता विज्ञान सिद्ध करता है। शरीर की अवस्था उस परिष्कार को भलीभांति स्वीकार कर लेती है ।

संस्कारों के वैज्ञानिक, व्यावहारिक व आध्यात्मिक आदि पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए " भारतीय चिन्तन परम्परा में संस्कार" नामक इस ग्रन्थ का प्रकाशन किया गया है । 

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