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दयानन्द सन्दर्भ कोषः

Dayanand Sandarbh Kosh

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Subject: References book of Swami Dayanand’s writings
Edition: 2011
Publishing Year: NULL
SKU #NULL
ISBN : NULL
Packing: 3 Volumes
Pages: 2180
BindingHard Cover
Dimensions: 10.00 X 7.50 INCH
Weight: 5gm

 

पुस्तक का नाम – दयानन्द संदर्भ कोषः (तीन भागों में) 
लेखक का नाम – प्रो. ज्ञानप्रकाश शास्त्री
महर्षि दयानन्द भारतीय इतिहास के एक ऐसे बिन्दु पर हमारे मध्य आए, जहाँ से पूर्व और परवर्ती युग का स्पष्ट बोध होता है। महर्षि दयानन्द के आविर्भाव से पूर्व यह देश न केवल राजनीतिक रूप से पराधीन था, अपितु धार्मिक, सामाजिक, शैक्षणिक आदि सभी दृष्टियों से निम्नतम सोपान पर खड़ा हुआ था।
महर्षि दयानन्द ने जहाँ हमारे समक्ष सत् शास्त्रों की अनुपम व्याख्य़ा दी, वहीं जीवन को सन्मार्ग पर चलने के लिये कतिपय सूत्र प्रदान किये। 
प्रस्तुत कार्य में महर्षि के समस्त साहित्य को आधार बनाया गया है, महर्षि के एक ऐसे कार्य को प्रस्तुत किया गया है, जिसमें किसी भी विषय पर महर्षि के समस्त विचारों को एक साथ प्राप्त किया जा सके। चाहे वह आश्रम व्यवस्था, वर्ण व्यवस्था या उनके दार्शनिक मन्तव्य हों, उसमें भी ईश्वर, जीव, प्रकृति और दर्शन के भेद उपभेद हों, या फिर पौराणिक मत-मतान्तर, ईसाई या मुस्लिम सम्प्रदाय विषयक जिज्ञासा हो, सबका समाधान एक स्थान पर हो जाये, इस उद्देश्य को लेकर ‘दयानन्द-संदर्भ-कोषः’ नाम से कोष का गठन किया गया है। प्रस्तुत कोष में महर्षि के लेखन में जिन भी विषयों को उठाया है, शीर्षक से या फिर विना शीर्षक दिये, उन सभी को कोष में स्थान दिया गया है। 
इस पुस्तक में महर्षि दयानन्द जी द्वारा रचित आर्योद्देश्यरत्नमाला, ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका, गोकरुणानिधिः, पञ्चमहायज्ञविधिः, भ्रमोच्छेदनम्, भ्रान्तिनिवारणम्, यजुर्वेदभाष्यम्, वेदविरुद्धमतखण्डनम्, व्यवहारभानुः, सत्यार्थप्रकाश, स्वमन्तव्याप्रकाश आदि ग्रन्थों से प्रकरणों का संयोजन किया गया है। 
इस समस्त साहित्य में स्वामी दयानन्द जी के जो – जो मन्तव्य प्रस्तुत किये हैं, उनका वर्णमाला क्रमानुसार संयोजन किया है। इन सभी मन्तव्यों का संक्षिप्त विवरण निम्न प्रकार है – 
1) दयानन्द-संदर्भ-कोषः भाग – 1 – इसमें अक्रूर की कथा और उसकी समीक्षा की गई है। अग्नि के अर्थ और अग्नि के कार्य, यानादि में अग्नि का उपयोग, शिल्प विद्या में अग्नि के कार्य, अग्नि से जल में मधुरता, यज्ञ, होता, ऋत्वि़ज आदि की व्याख्या की गई है। 
अग्निष्वात् पितर का वर्णन, अग्निहोत्र, अग्निहोत्र से लाभ, अघोरी पंथ की समीक्षा, अजामेल की कथा और उसकी समीक्षा, अणिमादि सिद्धि, अतिथि, अद्वैत समीक्षा, अध्ययन व अध्यापन, अनादि तत्त्व, अन्तेष्टि संस्कार, अश्विनौ यान के निर्माता, असुर, अंहिसा, आत्मा, आदित्य, आदित्य ब्रह्मचारी, आप्त के लक्षण, आर्यसमाज, गृहास्थाश्रम, वानप्रस्थ, सन्यास, आसन, इन्द्र, ईश्वर के नाम-गुण-कर्म आदि, ईसाईमत, उपनयन, उपाङ्ग, उपवेद, उपासक, उपासना, ऋतु के अनुकूल आचरण, औषधि, कन्या शिक्षा, कश्यप, कारण-कार्य, काल, खाखीमत समीक्षा, गणितविद्या, गणेश, गुप्त काशी, गुरु, गुरुकुल, गुरुत्मान्, गृहास्थाश्रम, देवालय शब्द का आश्रय, छन्द का प्रयोजन, पुनर्जन्म, जल, तप, जैनमत, तप, तपोवन, तर्पण, ताराविद्या, तीर्थ, दम्पति का व्यवहार, दोषों का विनाश आदि का वर्णन इस भाग में किया गया है। 
2 दयानन्द-संदर्भ-कोषः भाग – 2 – इस कोष में धन का स्वभाव, धन्वन्तरि, धर्मलक्षण, धर्म का स्वरुप, वैदिक धर्म के लक्षण, धर्मराज, धर्मात्मा, धारणा, धार्मिक, धास्युः, ध्यान, नमस्ते, नरक, नरमेध, नानकमत समीक्षा, नामस्मरण, नारायण, नारायण मत समीक्षा, नाराशंसी, नास्तिक मत समीक्षा, नित्य, निन्दा, निद्रावृत्ति, नियोग, निराञ्जन, निराकार, निरुक्त, निर्गुण, निष्काम मार्ग, नौविमानादिविद्याविषय, न्याय, न्यायाधीश, पञ्चकोष, पञ्चमहाज्ञ, पितृयज्ञ, पतिव्रता, पत्नि के कार्य, पशु के उपयोग, पुराण, पुराणमत में मुर्ति और पाखंड़, प्रजा, प्रतिमा, बौद्धमत, बैल, ब्रह्म, मन्त्रणाकाल, महाधन, महाशय, महीधरकृत वेदभाष्य में दोष, मासभक्षण का निषेध, माध्यमिक समीक्षा, मुक्ति, कुरान ईश्वरीय कृत्ति नहीं, युद्ध, विभिन्न योनियाँ आदि का वर्णन इस भाग में किया गया है। 
3 दयानन्द-संदर्भ-कोषः भाग -3 – इस कोष में रणछोड़ के चमत्कार और उसकी समीक्षा, राक्षस के लक्षण, राग, राजकर्म, राजधर्म, स्त्री न्यायव्यवस्था, राजपुरुष, राजपुरुषकार्य नियोग, राजा के लक्षण, लाटभैरव का चमत्कार और उसकी समीक्षा, वनरक्षा, वरुण, वर्ण, वर्षा ऋतु, वल्लभः मत समीक्षा, वसु, वाष्पयान, विज्ञान, विद्या, विद्युत, विवाहोत्तर धर्म, वेदनित्यत्व, शिल्पविद्या, स्वाध्याय आदि विषयों का वर्णन इस भाग में किया गया है। 
इस दयानन्द संदर्भ कोष नामक कोष का गठन करते समय ऐसा प्रयास किया गया है कि वेद, आर्यसमाज, गुरुकुल, यज्ञ, राजनीति, प्राचीन भारतीय संस्कृति आदि विषयों पर कार्य करने वाले शोधार्थियों के साथ-साथ सामान्य और विशिष्ट अध्येता वर्ग को वाञ्छित विषय पर अल्प प्रयास से प्रायः समस्त सामग्री उपलब्ध हो जाये।
घर बैठें प्राप्त कीजिये | 
 वेद ऋषि
https://www.vedrishi.com/book/140/dayanand-sandarbh-kosh
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