Vedrishi

द्रव्यगुण विज्ञान (3 भाग)

Dravyaguna Vijanana (set of 3 Vol.)

2,070.00

SKU field_64eda13e688c9 Category puneet.trehan

250 in stock

Subject: Kshitish Vedalankar Granthavali (set of 7 Vol.), क्षितीश वेदालंकार ग्रन्थावली
Edition: 2022
Publishing Year: 2022
Pages: 480
BindingNULL
Dimensions: NULL
Weight: 150gm

द्रव्यगुण विज्ञान

स्वस्थ एवं आतुर के लिए त्रिसूत्र आयुर्वेद अर्थात् हेतु, लिङ्ग और औषध सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण एवं उपयोगी है । आयुर्वेद का प्रयोजन सिद्ध करने के लिए औषध द्रव्यों को सम्यक् रूप से जानना आवश्यक है । सर्वद्रव्य पाँच भौतिक एवं औषधत्व रुप होते है । चिकित्सा शास्त्र में सफलता प्राप्ति हेतु सभी द्रव्य एवं उनके सिद्धान्तो को जानना जरुरी है ।

वर्तमान में आयुर्वेद के अध्ययन एवं अध्यापनार्थ विषयप्रधान पाठ्यक्रम को सुविधाजनक माना गया है। इसके अन्तर्गत आनेवाले द्रव्यगुण विज्ञान विषय को दो भाग में विभक्त करके प्रथम भाग (पेपर) में द्रव्यगुण के मूलभूत सिद्धान्तो का वर्णन एवं द्वितीय भाग में औषध द्रव्य, जांगमद्रव्य एवं आहार द्रव्यों का वर्णन मिलता है । इसके अनुसार इस पुस्तक में द्रव्यगुण विज्ञान के सिद्धान्तो का वर्णन किया गया है । द्रव्यविज्ञान, द्रव्यों का वर्गीकरण, मिश्रकगण, गुणविज्ञान,रसविज्ञान, विपाकविज्ञान, वीर्यविज्ञान, प्रभाव विज्ञान, कर्मविज्ञान एवं इन सभी पदार्थों का परस्पर सम्बन्ध के विषय में विस्तृत वर्णन किया गया है । इसके साथ-साथ औषधि द्रव्यों के महत्वपूर्ण सिद्धान्तों के अन्तर्गत द्रव्य का संग्रह, सरंक्षण, भेषजागार, प्रशस्त भेषज, भेषजकाल, मात्रा, अनुपान, शोधनादि विषयों का वर्णन किया गया है । इन सभी सिद्धान्तो का वर्णन करते वक्त प्रमुखतया चरकसंहिता, सुश्रुतसंहिता, अष्टांगसंग्रह, अष्टांगहृदय, चक्रदत्त, भावप्रकाश, शार्ङ्गधर संहिता आदि आर्षग्रन्थ एवं द्रव्यगुणविज्ञान-आचार्य प्रियव्रत शर्माजी एवं आचार्य यादवजी त्रिकमजी द्वारा लिखित हिन्दी एवं द्रव्यगुणविज्ञान-डॉ० ए०पी० देशपाण्डे एवं डॉ० गोगटे द्वारा लिखित मराठी ग्रन्यों का संदर्भ ग्रन्थ रुप में प्रयोग किया गया है । द्वितीय वर्ष आयुर्वेदाचार्य एवं एमडी. द्रव्यगुण विज्ञान के अभ्यासक्रमानुसार सभी सिद्धान्तो का संकलन एवं आधुनिक फार्माकोलोजी के सिद्धान्तो का वर्णन भी किया गया है। प्रत्येक सिद्धान्तों के विषय में आज तक विभिन्न विश्वविद्यालयों में पूछे गये प्रश्नो के उदाहरणार्थ रुप प्रस्तुत किये गऐ हैं। इसमें MCQ, long question एवं short question इस प्रकार वर्गीकरण करके उदाहरणार्थ कई प्रश्न दिये गये है ।

लेखक परिचय

डॉ० मानसी मकरन्द देशपाण्डे वर्तमान में भारती विद्यापीठ विश्व- विद्यालय, पुणे में द्रव्यगुण विज्ञान के विभाग प्रमुख एवं प्राध्यापक पद पर लगभग 18 वर्षो से कार्यरत हैं । आपको द्रव्यगुण विषय में गुजरात आयुर्वेद विश्व- विद्यालय से 1991 में एमडी. एवं 1999 में पुणे विद्यापीठ से पीएचडी. की उपाधि प्राप्त हुई । डॉ० देशपाण्डे एमडी. एवं पीएचडी अभ्यास-क्रम के लिए मान्यता प्राप्त प्राध्यापिका भी है । डॉ० देशपाण्डे काशी हिन्दु विश्वविद्यालय, वाराणसी; गुजरात आयुर्वेद विश्वविद्यालय, जामनगर; राजस्थान आयुर्वेद युनिवर्सिटी, जोधपुर; पुणे विश्वविद्यालय एवं भारती विद्यापीठ, पुणे; राजीव गान्धी हेल्थ युनिवर्सिटी, बैंग्लोर एनटीआर.विश्वविद्यालय, हैदराबाद, एवं मुम्बई विद्यापीठ के लिए स्नाकोत्तर परीक्षक एवं पर्यवेक्षक है । डॉ० देशपाण्डे प्राध्यापक, प्रपाठक एवं व्याख्याता पदों के चयन समिति के लिए विषय-निष्णात है । आपके 25 रिसर्च पेपर एवं भैषज्य कल्पना विज्ञान(हिन्दी) नामक पुस्तक भी प्रकाशित है ।

डॉ० अरविन्द पाण्डुरंग देशपाण्डे अनुभवी चिकित्सक एवं द्रव्यगुण विज्ञान की प्रसिद्ध हस्ती है । आप तिलक आयुर्वेद महाविद्यालय, पुणे में विभाग प्रमुख एवं प्राध्यापक पद पर लगभग 35 साल तक कार्यरत थे । इसी के साथ आप उप-प्राचार्य एवं महाविद्यालय और आयुर्वेद रसशाला में विभिन्न समिति के सदस्य थे । निवृत्त होने के बाद आपने भारती विद्यापीठ, आकुर्डी महाविद्यालय एवं हडपसर महाविद्यालय में आधुनिक औषधशास्त्र का अध्यापन का कार्य किया । डॉ० एपी देशपाण्डे एमडी. एवं पीएचडी. अभ्यासक्रम के लिए मान्यता प्राप्त प्राध्यापक थे । आप काशी हिन्दु विश्वविद्यालय, वाराणसी एवं पुणे विद्यापीठ में आयुर्वेद विभाग के सदस्य थे । आपके 3० से ज्यादा रिसर्च पेपर राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय परिसंवाद में प्रकाशित हुए है । आपने मराठी एवं अंग्रेजी में द्रव्यगुण-विज्ञान, Pharmacology for Ayurvedic Students (vol-1) एवं घरगुती वापरातली 13० आयुर्वेदीय वनस्पति नामक पुस्तकें प्रकाशित की है एवं हस्ति आयुर्वेद का मराठी अनुवाद किया है । आज भी आप अनेक पुस्तकों के अनुवाद कार्य में एवं सामाजिक कार्य में तन-मन से कार्यरत है । वैद्य खडीवाले वैद्यक संशोधन संस्थान ने आपको भास्कर घाणेकर पुरस्कार से सम्मानित किया है ।

भूमिका

आयुर्वेद प्राचीनतम चिकित्सा विज्ञान है । अतएव स्वस्थ एवं आतुर दोनों के लिए त्रिसूत्रात्मक, शाश्वत एवं पवित्र आयुर्वेद ज्ञान की परम्परा विकसित हुई । त्रिसूत्र(हेतु, लिह:, औषध) में से औषध का विशेष रूप से महत्व है । चिकित्साकर्म हेतु औषधि- विज्ञानद्रव्यगुणविज्ञान का शान महत्वपूर्ण है । आचार्य यादवजी त्रिकमजी के अभि- प्रायानुसार हमारा द्रव्यगुणविज्ञान प्राचीन काल में एक जीवन्त शाख था; उसमें आयुवेंद के सिद्धान्तानुसार द्रव्य कै कर्म का विचार-रस, गुण,वीर्य, विपाक को निश्चित करके कर्म का अध्ययन किया जाता था । औषधि के कर्म का विचारपूर्वक अध्ययनार्थ द्रव्य के सिद्धान्त (रस, विपाक, वीर्य, प्रभाव, गुण,संग्रहण-संरक्षण) आदि को जानना अत्यावश्यक है । अत: द्रव्यगुण शाख के सिद्धान्तों पर डॉ. मानसी देशपाण्डे द्वारा लिखित द्रव्यगुणविज्ञान पुस्तक का प्रकाशन इस दिशा में एक प्रशंसनीय प्रयास है ।

मेरी छात्रा डॉ. मानसी देशपाण्डे भारती विद्यापीठ, अभिमत विश्वविद्यालय के आयुर्वेद महाविद्यालय में द्रव्यगुण विज्ञान विषय में विभागप्रमुख एवं प्राध्यापक के रूप मे लगभग १५ वर्षो से कार्यरत हैं । उनके अध्ययन, चिन्तन, अध्यापन एवं अनुसन्धान के फलस्वरूप प्रस्तुत यह ग्रन्थ उनके परिश्रम के परिपाक रूप में पाठको के समक्ष आने पर मुझे प्रसन्नता हो रही है ।

प्रकृत ग्रन्थ मे लेखिका ने केन्द्रीय पाठ्यक्रम के अन्तर्गत द्रव्यगुणविज्ञान विषय के अभ्यासक्रमानुसार सभी सिद्धान्तों का प्राचीन तथा अर्वाचीन उपलब्ध सामग्री के साथ अनुयोजन एवं तुलनात्मक विश्लेषण प्रस्तुत करने का सफल प्रयास किया है । अत: आयुर्वेद महाविद्यालयों के छात्रों के साथ ही इस विषय के अध्ययन,अध्यापन एवं अनुसंधान में व्यस्त सभी आयुर्वेद प्रेमी के लिए यह समान रूप से उपयोगी होगी । मुझे विश्वास है कि आयुर्वेद जगत में इस पुस्तक का यथोचित स्वागत होगा ।

मनोगत

सर्वप्रथम हम भगवान् श्रीगणेश, वाग्देवी सरस्वती एवं श्रीधन्वतरि के प्रति नतमस्तक होते है, जिनकी कृपा एवं आशीर्वाद से सतत परिश्रमपूर्वक द्रव्यगुण विज्ञान का यह द्वितीय भाग पाठकों के समक्ष उपस्थित हो रहा है । इस ग्रन्थ का प्रथम भाग(मौलिक सिद्धान्त) लगभग दो वर्षों पूर्व प्रकाशित हुआ था, जिसको पाठको ने पसन्द किया है ।

आयुर्वेदीय द्रव्यगुण शाख मे विशेषत: वनस्पतियो के अध्ययन का महत्व दिन- प्रतिदिन वृद्धि को प्राप्त हो रहा है । विदेशो में भी वनस्पतियों पर अनेक शोधकार्य हो रहे हैं । आज के युग मे औषधीय वनस्पतियो का आधुनिक दृष्टिकोण से अध्ययन- अध्यापन की आवश्यकता महसूस की जा रही है । इस सन्दर्भ में आचार्य यादवजी त्रिकमजी, आचार्य प्रियव्रत शर्मा, डॉ. कृष्णचन्द्र चुनेकर प्रवृति विद्वानो तथा अध्यापक- गुरुजनो को पथप्रदर्शक मानते हुए आजतक प्राचीन एवं आधुनिक वनस्पतिशास्त्र के अन्तर्गत जो भी शोध कार्य हुए है, उन सभी को दृष्टिगत रखते हुए तथा आज के जिज्ञासु छात्रो की प्रवृत्ति को ध्यान से रखकर भारतीय चिकित्सा केन्द्रीय परिषद् नई दिल्ली द्वारा निर्धारित बीएएमएस. एवं एमडी. मे निर्धारित पाठ्यक्रम के आधार पर इस ग्रन्थ की रचना की गई है ।

इस ग्रन्थ मे भारतीय चिकित्सा केन्द्रीय परिषद् नई दिल्ली द्वारा निर्धारित नवीन पाठ्यक्रमानुसार प्रमुख द्रव्यों के अन्तर्गत कुल 119 वनस्पतियो का विस्तृत वर्णन तथा19० द्रव्यों का सामान्य परिचयात्मक वर्णन प्रस्तुत किया गया है । इसके अतिरिक्त भी कतिपय द्रव्यो, जो कि पाठ्यक्रम में सम्मिलित नही हैं,व्यवहारोपयोगी होने से उन्हे भी सम्मिलित कर लिया गया है । औषधि द्रव्यो के वर्णन के प्रसंग में पाठ्यक्रम मे वर्णित अभ्यासक्रम को ध्यान मे रखते हुए द्रव्य का धातु, स्रोतस् एवं व्याधि-अवस्था में किस प्रकार कार्य होता है-यह कार्यकारण भाव बतलाकर विषय को स्पष्ट करने का प्रयत्न किया गया है जिससे कि छात्रो को द्रव्यों की कार्यप्रणाली समझने में सुविधा होगी । प्रस्तुत यन्त्र के प्रणयन मे चरकसंहिता, सुश्रुतसंहिता, अष्टांगसंग्रह, अष्टांगहृदय, काश्यपसंहिता,भावप्रकाशनिघण्टु, धन्वन्तरिनिघण्टु, राजनिघण्टु, मदनपालनिघण्टु, कैयदेवनिघण्टु 7 निघण्टुआदर्श एवं आधुनिक ग्रन्थों में-वेल्थ ऑफ इण्डिया, डाटा वेस ऑफ इण्डिया तथा मेटीरिया मेडिका आदि का सार-संक्षेप संकलन कर आलोचनात्मक एवं तुलनात्मक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया गया है । साथ ही द्रव्यगुणशास्त्र का अध्ययन- अध्यापन करते समय जो शंकाएँ उत्पन्न हुई उनका भी निवारण करने का प्रयास किया गया है ।

प्रमुख द्रव्यों का वर्णन करते समय आधुनिक विज्ञान में हुए शोधकार्यो को ध्यान मे रखते हुए उससे सम्बन्धित महत्वपूर्ण सामग्री को Modern view शीर्षक के अन्तर्गत प्रस्तुत किया गया है । प्रस्तुत संस्करण में पाठ्यक्रम में निर्धारित जांगम द्रव्यों एवं अन्नपानोपयोगी द्रव्यों का भी समावेश किया गया है । छात्रों की जिज्ञासुवृत्ति एवं उनकी मानसिकता को ध्यान में रखते हुए प्रमुख द्रव्यों के नाम, कुल, पर्याय, स्वरूप, उत्पत्तिस्थान, प्रयोज्यांग, रस-गुण-विपाक-वीर्य एवं कर्म, रोगम्नता तथा विशिष्ट कल्पबोधक एक सारणी भी ग्रन्थान्त में प्रस्तुत की गई है जिससे उन्हें At a glance द्रव्यों की प्रमुख जानकारी प्राप्त होगी ।

इस धन्य के लेखन कार्य में जिन विद्वानों के ग्रन्थों का सहयोग लिया गया है उनके प्रति हम ऋणी हैं । इस कार्य को सकुशल सम्पन्न करने में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में जिन अध्यापकगण, छात्रगण एवं कुटुम्बीजन का सहयोग एवं प्रोत्साहन मिला है, उनके प्रति हम आभार प्रकट करते हैं । इस ग्रन्थ के प्रकाशक चौखम्बा संस्कृत प्रतिष्ठान, दिल्ली के संचालकगण के प्रति हम आभारी हैं जिनके सत्प्रयास से यह ग्रन्थ अभिनव स्वरूप में प्रकाशित होकर पाठकों के करकमलों में आ सका है ।

हमें आशा है कि यह पुस्तक छात्रों के साथ-साथ अध्यापकगण तथा वनस्पति अनुसंधानकर्त्ताओं के लिए भी समान रूप से उपयोगी होगा ।

अन्त में विद्वानों से हमारा निवेदन है कि इस गन्ध में प्रमादवश कोई त्रुटि या कमी हो तो उससे हमें अवगत कराने का कष्ट करे जिससे आगामी संस्करण में उनका यथोचित सुधार किया जा सके ।

Weight6415688 g

Reviews

There are no reviews yet.

You're viewing: Dravyaguna Vijanana (set of 3 Vol.) 2,070.00
Add to cart
Register

A link to set a new password will be sent to your email address.

Your personal data will be used to support your experience throughout this website, to manage access to your account, and for other purposes described in our privacy policy.

Lost Password

Lost your password? Please enter your username or email address. You will receive a link to create a new password via email.

Close
Close
Shopping cart
Close
Wishlist