Vedrishi

महाभारत ज्ञान कोश

Mahabharat Gyan Kosh (set of 5 Vol.)

10,000.00

Subject: Disease & Treatment of Elementary Canal
Edition: 2012
Publishing Year: 2012
ISBN : 9788180000000
Pages: 240
BindingHardcover
Dimensions: 14X22X4
Weight: 700gm

महाभारत एकमात्र ऐसा ग्रन्थ है जिसमें समस्त ज्ञान निहित है महाभारत एक वृक्ष है इसके पवित्र फल स्वादु सरस एवं पुष्प अविनाशी हैं यह सत्य एवं अमृत है जैसे दही में नवनीत मनुष्यों में ब्राह्मण, वेदों में उपनिषद्, औषधियों में अमृत, सरोवरों में समुद्र, चौपायों में गाय (गौ), आदित्यों में विष्णु, ज्योतियों में सूर्य, देवों में इन्द्र, वेदों में सामवेद, इन्द्रियों में मन, रूद्रों में शंकर, शब्दों में अक्षर, सेनापतियों में स्कन्द, स्थावर में हिमालय, जलाश्यों में समुद्र, वृक्षों में पीपल, देवर्षियों में नारद, सर्पों में वासुकि, हाथियों में ऐरावत, घोड़ों में उच्चे: श्रवा, पितरों में अर्यमा, सिद्धों में कपिल, नदियों में गंगा, वासना में कामदेव, शास्त्रों में वज्र, पक्षियों में गरुड़ श्रेष्ठ है उसी प्रकार ग्रन्थों में महाभारत ग्रन्थ श्रेष्ठ है उसी प्रकार इतिहासों में यह महाभारत ग्रन्थ है जो इसे श्रवण पठन-पाठन करता है वह समस्त पापों से मुक्त हो जाता है।

महाभारत ग्रन्थ ज्ञान का भण्डार है इसमें समस्त ज्ञान का समावेश है। इसमें सृष्टि के जड़ चेतन का विस्तार है। सृष्टि की उत्पत्ति कैसे हुई, विकास कैसे हुआ, प्रलय कैसे तथा क्यों होती है जिससे सृष्टि का विनाश हो जाता है। सभी प्रकार के प्राणियों उद्भिज, स्थावर, जड़ग्म तथा अण्डज के बारे में विस्तार से वर्णन है। जीव ने जन्म मृत्यु, बार-बार जन्म लेना, बार- बार मृत्यु का क्लेश सहन करना, जीव को मिलने वाले सुख-दुःख, काम-क्रोध तृष्णा, प्रियजनों का वियोग, अप्रियजनों का संयोग, जीव की विविध गतियों का वर्णन, जीव किस प्रकार गर्भ में आकर जन्म ग्रहण करता है आचार धर्म कर्मफल की अनिवार्यता, संसार से तरने के उपायों का वर्णन, मोक्ष प्राप्ति के उपायों का वर्णन, चेष्टाशील जीवात्मा इस शरीर का भार कैसे वहन करता है फिर कैसे तथा किस रंग के शरीर को धारण करता है, इस आत्मदर्शन रूप धर्म का आश्रय लेकर पाप योनि के मनुष्य किस प्रकार परमगति को प्राप्त होते हैं। प्राण, अयान, समान, व्यान और उदान आदि के बारे में, सात वैश्वानर समिधाओं के बारे में, सात योनि, सात जिह्वाओं के बारे में बताया गया है। ज्ञाता, गेय और ज्ञान के बारे में बताया गया है। दस होता- कान, त्वचा, नेत्र जिह्वा, नासिका, विस्तार से वर्णन, वाक् की उत्पत्ति, वाणी के बारे में, मन की गति का विस्तार से

हाथ, पैर, उपस्थ तथा गुदा का वर्णन किया गया है। चातुर्होम का वर्णन जिसमें चार होता- कर्म, कर्ता, करण तथा मोक्ष के बारे में सात कर्म रूप, सात कर्ता रूप, अन्तर्यामी की प्रधानता, एक ही भगवान, एक ही गुरु एक ही श्रोता, एक ही बन्धु, एक ही शत्रु के बारे में वर्णन अध्यात्म विषयक महान वन का वर्णन, हिंसा-अहिंसा का विवेचन सत्त्व, रज तम के तीन-तीन नौ गुणों का वर्णन, प्रकृति के नामों का वर्णन महत्त्व के नाम, परमतत्त्व को जानने की महिमा, अंहकार की उत्पत्ति और उसके स्वरूप का वर्णन, पंचमहाभूतों का वर्णन, ज्ञान की नित्यता देहरूपी कालचक्र का वर्णन, धर्म की विवेचन आदि का विस्तार से वर्णन है। 

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