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कुरान परिचय

Quran Parichay

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Author: Devprakash
SKU field_64eda13e688c9 Category puneet.trehan
Subject: About Quran
Edition: 1974
Publishing Year: 1970
SKU #NULL
ISBN : NULL
Packing: 3 Volumes
Pages: 1511
BindingPaperback
Dimensions: 12X18X10
Weight: 1250gm

जब हम इतिहास की घटनाओं का अध्ययन करते है तब हम पाते है कि धर्म के नाम पर फैलाई जाने वाली अन्धश्रद्धा को दूर करना चाहिए, चाहें वह फिर हिन्दू, मुसलमान, यहुदी, ईसाई आदि किन्हीं भी मतों के नाम फैलाई जाती हो, उसको जनहितार्थ दूर करना प्रत्येक सज्जन पुरुष का आवश्यक कर्तव्य है, और अन्धश्रद्धा को दूर करने का सर्वोत्तम उपाय सुसाहित्य के निर्माण एवं प्रकाशन द्वारा ही वास्तविक ज्ञान का प्रकाशन सम्भव है। इसी दृष्टि को ध्यान में रखते हुए प्रस्तुत पुस्तक लिखी गई है।

प्रस्तुत पुस्तक तीन खण्डों में है, इसके तीनों खण्डों का संक्षिप्त विवरण निम्न प्रकार है –

कुरान परिचय ‘प्रथम खण्ड़’ में कुरआन के अवतरण, सृष्टिरचना के पूर्व ही खुदा द्वारा लेखनी को आदेश देकर कुरआन का ‘लोह महफूज’ पर लेखन, कुरान का शनैः शनैः अवतरण, मक्की और मदीना की आयतों की गणना, सप्त आकाशों का वर्णन, हजरत मुहम्मद के काल में कुरआन का अवतरण न होना, कुरआन में खुदा के अतिरिक्त उमर आदम, काफिरों, फरिश्तों और फिरऔन के जादूगरों इत्यादि की वाणी मिश्रण होना, कुरआन में ऐसी आयतों का अस्तित्व जिनका अर्थ मात्र खुदा ही जानता है, हजरत मोहम्मद और उनकीं दासियों की कथा का कुरआन में होना, कुरआन की जन्नत और इस्लाम के 313 सम्प्रदायों की सूचि पर पूर्णरुप से प्रकाश डाला गया है।

कुरआन परिचय के द्वितीय खण्ड़ में कुरआन के प्रथम पारा की आयत क्रमांक 1 से 83 तक क्रमानुसार आयत प्रस्तुत कर, उनकी विविध तफ्सीरों के द्वारा तुलनात्मक समीक्षा की गई है। इस पुस्तक में कुरआनी आयतों को उद्धृत कर उन पर विविध तफासीर लेखकों की ऊहापोह, हदीसों की प्रामाणिक कथा-कहानियों, मुस्लिम विद्वानों के अर्थ और व्याख्या निरुपण में पारस्परिक अन्तर और मतभेद अनूठे ढ़ग से प्रस्तुत किया गया है।

इस पुस्तक के तृतीय खण्ड़ में आयत क्रमांक 84 से आयत क्रमांक 142 तक सम्पूर्ण आयतों के अर्थ-उद्धरण-व्याख्याएं और अपनी ओर से सत्य-तथ्य को लेखक ने प्रस्तुत किया है। इस खण्ड़ में हजरत अली, हजरत हसन, हुसैन, यजीद, हल्लाज का कत्ल, अन्तिम पैगम्बर पर जादू, कुरआन में उल्ट फेर, कुरआन में परस्पर विरोधी आयते, काबा का इतिहास आदि विषयों का विवेचन प्रस्तुत किया है।

इस तरह कुरआन के आलोचनात्मक अध्ययन की दृष्टि से एवम् कुरआन जब प्रकट हुई उस समय की अरब स्थान की आन्तरिक स्थिति एवं उस समय के विभिन्न विद्वानों के कुरआन सम्बन्धी अभिप्रायों को निष्पक्षतया अध्ययन करने की दृष्टि से यह पुस्तक नितांत उपयोगी है।

इस प्रकार की आलोचनात्मक अध्ययनयुक्त पुस्तकों का विश्व में जितना अधिक प्रचार हो उतना ही जनता में से अन्ध-श्रद्धा एवं अंधविश्वास के कम होने की सम्भावना निश्चित है।

Weight1250 g

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