Vedrishi

ऋग्वेद पदार्थ कोष

Rigveda Padarth Kosh

10,000.00

Category puneet.trehan
Subject: Rigveda Words Kosha
BindingHard Cover
Dimensions: NULL
Weight: NULLgm

उद्देश्य एवं क्रियान्वयन कोश में सम्मिलित भाष्यकार

प्रस्तुत कोश में निम्नांकित क्रम से कुल ग्यारह भाष्यकारों एवं वृत्तिकारों द्वारा किये गये अर्थ सम्मिलित किये गये हैं:

  • आचार्य सायण
  • स्वामी दयानन्द सरस्वती
  • आचार्य उद्गीथ
  • यास्क
  • आत्मानन्द
  • दुर्गाचार्य
  • वररुचि
  • स्कन्द महेश्वर
  • स्कन्दस्वामी
  • वेंकटमाधव
  • आचार्य मुद्गल

उद्देश्य एवं क्रियान्वयन सामग्री-संयोजन एवं वैशिष्ट्य

प्रस्तुत ऋग्भाष्य पदार्थ कोष में वर्णानुक्रमिक alphabetical रूप में ऋग्वेद के पद विभक्तियुक्त शब्द देते हुए पूर्वोक्त ग्यारह भाष्यकारों द्वारा किये गये अर्थ के उपलब्ध अंश को क्रमशः दिया गया है। परन्तु उपसर्गयुक्त पदों को उपसर्ग के अक्षरक्रम में न रखकर आख्यातपद जिसके साथ उपसर्ग जुड़ता है उस शब्द के अक्षरक्रम में दिया गया है। उदाहरण के लिए नि अहासत पद को न अक्षर के अंतर्गत नहीं रखकर अहासत के क्रम में दिया गया है। इसी प्रकार प्रति अहन् को प अक्षर के अन्तर्गत न देकर अहन् के क्रम में रखा गया है। उपसर्गयुक्त पदों के सन्दर्भ में इस क्रम को अपनाने के मूल में यह कारण रहा है कि पाठक को एक ही स्थान पर उपसर्गरहित और उपसर्गयुक्त आख्यातपद का सम्पूर्ण विवरण उपलब्ध हो सके। इससे जो लोग आख्यातपद के सम्बन्ध में शोधकार्य करना चाहते हैं, उन्हें तो सुविधा होगी ही, साथ ही अध्येता की जिज्ञासा भी पूर्ण हो सकेगी।

प्रस्तुत कोष में किसी भाष्यकार के द्वारा किसी पद के एक से अधिक अर्थ किये गये हैं तो उन समस्त अर्थों को प्रयोग-स्थल के क्रम से पर्याप्त सन्दर्भसूची देते हुए वाक्यांश के साथ संस्कृत भाषा में प्रस्तुत किया गया है। इस कारण से कई शब्दों पदों के अर्थ कई पृष्ठों में आ पाये हैं। उदाहरण के लिए अग्ने पद का अर्थ लगभग ११ पृष्ठों में दिया गया है।

भाष्यकारों के नाम के सन्दर्भ में एक तथ्य ध्यातव्य है कि इसमें स्कन्दस्वामी एवं स्कन्द महेश्वर के नाम से दो भिन्न भाष्यकारों के अर्थ प्रस्तुत किये गये हैं। कई ऐसे पद हैं जिन पर इन दोनों के भाष्य उपलब्ध हैं और उन्हें अलग-अलग क्रमशः दिया गया है। इन दोनों के अर्थों में भिन्नता भी है। उदाहरण के लिए ईळे, हिरण्ययम्, होतारम् आदि पद देखे जा सकते हैं जहाँ क्रमशः इन दोनों के भाष्य उपलब्ध हैं।

इस विश्वकोशात्मक ग्रन्थ की हिन्दी में लिखी गयी बृहद् भूमिका कुल ८१२ पृष्ठों के एक स्वतंत्र ग्रन्थ के रूप में ऋग्वेद के भाष्यकाऔर उनकी मन्त्रार्थदृष्टि नाम से महर्षि सान्दीपनि राष्ट्रीय वेदविद्या प्रतिष्ठान, उज्जैन से प्रकाशित है, जिसमें उपर्युक्त समस्त भाष्यकारों के अतिरिक्त टी॰वी॰ कपाली शास्त्री को मिलाकर बारह भाष्यकारों के सम्बन्ध में गवेषणात्मक एवं आलोचनात्मक विवेचन विस्तार से वर्णित हैं। बाद में उन्होंने इस ग्रन्थ के परिशिष्ट में ऋग्वेद के एक और भाष्यकार पं॰ रामनाथ वेदालंकार का विवेचन भी जोड़ दिया। इस प्रकार इसमें विवेचित भाष्यकारों की कुल संख्या तेरह हो गयी।

 

परियोजना

प्रो॰ ज्ञानप्रकाश शास्त्री ने आचार्य विश्वबन्धु शास्त्री द्वारा निर्मित वैदिक पदानुक्रम कोष के अगले चरण के रूप में यह परियोजना प्रस्तुत की कि ऋग्वेद के प्रत्येक पद के साथ समस्त भाष्यकारों के अर्थ दे दिये जायें ताकि उनमें से पाठक को जो उचित लगे उसे ग्रहण कर सके। इस निष्कर्ष को आधार बनाकर उन्होंने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, नयी दिल्ली से ऋग्भाष्य-पदार्थ-कोष के गठन हेतु बृहद् शोधपरियोजना प्रस्तुत की, जो सन् २००८ में स्वीकृत हुई तथा २०११ में यह कार्य पूर्ण हुआ एवं परिमल पब्लिकेशंस, शक्तिनगर, दिल्ली से सन् २०१३ में आठ भागों में प्रकाशित हुआ। इससे पूर्व उन्हीं के द्वारा यजुर्वेद-पदार्थ-कोष प्रकाशित हो चुका था।

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