Vedrishi

वैदिक-विज्ञान-परम्परा

Vedic-Vigyan-Parmapra

1,995.00

Subject: Study of Yoga
Edition: NULL
Publishing Year: NULL
SKU #NULL
ISBN : NULL
Packing: 3 Volumes
Pages: NULL
BindingHard Cover
Dimensions: NULL
Weight: NULLgm

पुस्तक परिचय

वैदिक वाङ्मय वह विज्ञान सागर है जिसकी गम्भीरता एवं विस्तार अनन्त है। विज्ञान की प्राचीनतम महत्ता इसी से स्पष्ट है कि ऋषियों ने निर्देशित किया “विज्ञानमुपास्व” विज्ञान की उपासना करो, “विज्ञानमानन्दं ब्रह्म” आनन्द तथा विज्ञान ब्रह्म स्वरूप है।

आधुनिक विज्ञान जिन सीमाओं से अवरुद्ध है, वैदिक विज्ञान की सहायता से उनसे मुक्ति का मार्ग प्रशस्त किया जा सकता है। वैदिक अक्षर-विज्ञान, पद-विज्ञान, ध्वनि-विज्ञान, शब्द और वाक्य-विज्ञान के साथ ही गणित, आयुर्वेद, पुरातत्त्व, रसायन, शल्य चिकित्सा, भौतिकी, पादप, जीव, ज्योतिष, नक्षत्र विज्ञान के अतिरिक्त समाज विज्ञान, राजनीति, अर्थ, वाणिज्य के तथ्यों से सम्पूरित प्रस्तुत पुस्तक “वैदिक विज्ञान-परम्परा के विविध आयाम” विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी में पढ़े गये शोध पत्रों पर विधिवत विमर्श, विचार-विमंथन के उपरान्त प्राप्त निष्कर्षों का संकलन है।

पुस्तक को दो भागों (हिन्दी भाषा के शोध पत्रों एवं आंग्ल भाषा के शोध पत्रों) में नियोजित किया गया है । ग्रन्थ में कुल 56 लेखों का सन्निवेश है जो वैदिक विज्ञान के विविध पक्षों पर महत्वपूर्ण तथ्य प्रस्तुत कर रहे हैं। यह ग्रन्थ जिज्ञासुजनों, शोधार्थियों, विद्यार्थियों एवं विभिन्न अनुशासनों के अध्यापक बन्धुओं के लिए उपयोगी होगा। साथ ही ग्रन्थालयों के लिए महत्वपूर्ण सन्दर्भ ग्रन्थ के रूप में विशेष संग्रहणीय रहेगा।

Reviews

There are no reviews yet.

You're viewing: Vedic-Vigyan-Parmapra 1,995.00
Add to cart
Register

A link to set a new password will be sent to your email address.

Your personal data will be used to support your experience throughout this website, to manage access to your account, and for other purposes described in our privacy policy.

Lost Password

Lost your password? Please enter your username or email address. You will receive a link to create a new password via email.

Close
Close
Shopping cart
Close
Wishlist