पुस्तक का नाम – विश्व इतिहास के विलुप्त इतिहास
लेखक का नाम – पुरुषोत्तम नागेश ओक
विश्वभर में आज जो इतिहास पढाया, प्रस्तुत किया जा रहा तथा अनुमान किया जा रहा है, उसमें अनेक भ्रान्त धारणाएँ हैं, जिनमें से कुछ तो ऐसी हैं जिनके कारण विगत घटनाओं को बिल्कुल उलटे रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। इसका एक दृष्टान्त पश्चिमी विद्वानों द्वारा प्रचारित यह प्रचलित जन – विश्वास है कि आर्य एक जाति है, और आर्यों ने भारत पर आक्रमण किया था तथा इस देश को ही अपना घर, निवास स्थान बना लिया था। ये दोनों ही, इतिहास सम्बन्धी भ्रान्त, विपरीत धारणाएँ हैं। आर्य कोई जाति नहीं, अपितु गुणवाची नाम है।
एक अन्य बड़ा भ्रमजाल उस मुस्लिम वर्ग के सम्बन्ध में है जिसे सूफी वर्ग कहते हैं और जिनको अथक परिश्रम से महान् सन्त के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। उनके जीवन की निकट से अतिसूक्ष्म और निष्पक्ष परीक्षा करने पर उनमें से अधिकांश लोग उस संदशनी का दूसरा भाग प्रतीत होंगे जो हिन्दू सभ्यता का गला घोंटने में विदेशी मुस्लिम राज – सत्ता का साथ दे रहे थे।
तीसरा भ्रमजाल अकबर, शेरशाह और फिरोजशाह जैसे शासकों की महानता को प्रसारित करना है।
प्रसिद्ध ऐतिहासिक भवनों और प्रसादों को मुस्लिम वास्तुकला बताना जबकि वे मुस्लिमों से पूर्व की है।
ऐसी सब भंयकर भूलें अनेक कारणों से ही इतिहास में पक्की तौर पर जड़े जमा बैठी हैं। इन सब कारणों से भारतीय और विश्व इतिहास ग्रन्थों में अनेकों मिथ्या बातें प्रविष्ट हो गई हैं, जिन्होनें ऐतिहासिक सत्य की जड़े खोखली कर दी हैं और इतिहास को सत्य से बहुत दूर ला पटका है।
प्रस्तुत ग्रन्थ में इसी प्रकार प्रचलित ऐतिहासिक धारणाओं के बहुत सारे दूरगामी दोषों को जनता के समक्ष प्रस्तुत किया गया है।
अतः पाठकों से निवेदन कि वे इन दोषों को भलीभाँति समझ लें। समझ लेने के पश्चात् वे इन तथ्यों का प्रसार – प्रचार करें तथा भ्रान्तिपूर्ण ऐतिहासिक विवरणों को बदलवाने का प्रयास करें।
Vishwa Itihas ke Vilupt Adhyay
विश्व इतिहास के विलुप्त अध्याय
Vishwa Itihas ke Vilupt Adhyay
₹180.00
Author: Purushottam Nagesh Oak
Subject: hindu, Spiritual, dharma
BindingNULL
Dimensions: NULL
Weight: NULLgm
Reviews
There are no reviews yet.