षड्-दर्शन समन्वय डॉ. प्रशान्त आचार्य मूलतः वैज्ञानिक शोधकर्त्ता हैं। आधुनिक भौतिक विज्ञान के स्नातक हैं। अतः आपकी लेखनी से भारतीय छः दर्शनों-न्याय, वैशेषिक, सांख्य, योग पूर्व मीमांसा-उत्तरमीमांसा के विषय में जो कुछ निःसृत होगा, अवश्य ही तर्क-प्रमाणों से पुष्ट होगा । लेखक स्वामी दयानन्द के मन्तव्यों से प्रभावित है। ग्रन्थ उपादेय एवं संग्रहणीय है। – डॉ. विजयपाल विद्यावारिधि, आचार्य, पाणिनी महाविद्यालय, रेवली, सोनीपत (हरियाणा) प्रस्तुत षड्-दर्शन समन्वय के ग्रन्थकार ने छः दर्शनों के अध्ययन का एक नया क्रम निर्दिष्ट किया है और उस क्रम को यथार्थ सिद्ध करने के लिये जो तर्क दिये हैं वे प्रशंसनीय हैं। प्रायः न्याय वैशेषिक, सांख्ययोग, पूर्वमीमांसा और वेदान्त यही क्रम अद्यावधि स्वीकृत किया जाता रहा है । किन्तु ग्रन्थकार ने सूत्रक्रम में सर्वप्रथम पूर्वमीमांसा को रखा है, फिर वैशेषिक को और उसके पश्चात् न्याय सूत्र का क्रम आता है। न्याय के पश्चात् योग, फिर सांख्य और अन्त में वेदान्त का स्थान आता है। इस क्रम के पीछे ग्रन्थकार ने जो हेतु दिये हैं, उनको सम्यक् परिप्रेक्ष्य में लिया जाना चाहिये ।
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Shad-Darshan Samanvay – by Dr. Prashant 'Acharya' (डॉ. प्रशांत 'आचार्य')
षड्-दर्शन समन्वय
Shad-Darshan Samanvay – by Dr. Prashant 'Acharya' (डॉ. प्रशांत 'आचार्य')
₹220.00
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Subject : Research on Six Darshanas
Edition : 2023
Publishing Year : 2023
SKU # : 36644-AS06-0H
ISBN : N/A
Packing : Paperback
Pages : 128
Dimensions : 14X22X6
Weight : 210
Binding : Paperback
Description
Additional information
Weight | 6415688 g |
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