एक आम भारतीय के नजरिए से और आम भारतीय की ही भाषा में मैंने इसे लिखने का प्रयास किया है। जनरल रावत जी एक बहुत महान आत्मा हैं। मैं उनके विचारों पर इस पुस्तक को आधारित होने का दवा नहीं करता पर मैं यह जरूर कहना चाहूंगा कि वो मेरे सबसे बड़े प्रेरणा स्रोत हैं, उनके जाने के बाद आधे मोर्चे ने सोशल मीडिया पर जो प्रतिक्रिया दी थी उससे मुझे उनके सूत्र समझने में बहुत आसानी हुई। यह पुस्तक इस आधे मोर्चे की काली करतूतो के छोटे से एनसाइक्लोपीडिया की तरह काम करते हुए सभी राष्ट्रवादी भारतवंशियों का मार्ग प्रशस्त करेगी और उन्हें भटकने से बचाएगी ऐसा मेरा पूर्ण विश्वास है।
जो लोग शतरंज खेलते हैं कभी उनसे पूछो कि “सबसे ताकतवर मोहरा कौन सा होता है?” बेशक जवाब होगा रानी। अब उनसे पूछो कि “और सबसे खतरनाक?” ना रानी ना हाथी ना ऊंट। राजा और प्यादे तो बिल्कुल भी नहीं। ताकतवर और खतरनाक होने में बड़ा विभेद है। रानी ताकतवर है क्योंकि उसके पास बेतहाशा शक्तियां हैं। राजा, प्यादे, ऊंट, हाथी सब की शक्तियां उसके पास होती हैं लेकिन फिर भी वो खतरनाक नहीं है क्योंकि वो अकेली है। उसका कोई दूसरा क्लोन नहीं है। जहां वो बैठी है वहां से वो कहां-कहां जाकर वार कर सकती है इसका अंदाजा लगाया जा सकता है, लेकिन खतरनाक का यह गुण नहीं होता। खतरनाक का गुण होता है कि एक तो उसकी चाल का पता लगाना बहुत मुश्किल और टाइम टेकिंग होना चाहिए। दूसरा कि वो रास्ते में आने वाली किसी भी रुकावट की परवाह किए बगैर अपने लक्ष्य को भेदने वाला होना चाहिए। तीसरा कि वो अकेला नहीं होना चाहिए, प्रतिपक्षी को धोखे में रखने के लिए समान शक्तियों वाला उसका क्लोन भी होना चाहिए ताकि पहले के मरने पर दूसरा काम करता रहे।
तो अब आपको पता लगा कि कौन है सबसे खतरनाक ? घोड़ा! जी हां। ढाई कदम की चाल घोड़े को सबसे खतरनाक बनती है।
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