पुस्तक का नाम – वैदिक सम्पदा
लेखक – श्री वीरसेन वेदश्रमी
वेद समस्त सत्य विद्याओं का पुस्तक है | वेद पढना पढाना आर्यों का परम कर्तव्य है | यह पंक्ति यज्ञ प्रार्थना में सभी बोलते है | वेद क्यूँ पढने चाहिए तो इसका उत्तर है कि वेदों में समस्त विद्याओं का मूल है तथा अनुकरणीय कर्तव्यों का विधान है | ऋषि कणाद ने वेदों के लिए लिखा है कि वेद वाक्य बुद्धि पूर्ण रचना है | प्रस्तुत पुस्तक “ वैदिक सम्पदा “ इसी तथ्य को उदाहारण समेत प्रमाणित करती है | इस पुस्तक में वेदों में वर्णित समाजशास्त्र ,वैदिक आदर्श गृहस्थवाद और आदर्शविचारों को प्रकट किया गया है | फिर आजीविका और विभिन्न कार्यों के लिए पशुपालन ,कृषि , उद्योग धंधे ,वन एवम् यातायात ,चिकित्सा विज्ञान के सम्बन्ध में वेदों के कथनों को दिखाया है | इसके पश्चात् वेद मन्त्रों से गणित विद्या को दिखाया है | जिसमे वेद मन्त्रों से रेखा गणित ,बीज गणित , अंक गणित ,दशमलव आदि पद्धतियों को दर्शाया है | राजनीति ,सैन्य ,सुरक्षा इन राजविद्या को वेद मन्त्रों से दर्शाया है | वेद विज्ञानं विषय में वेद मन्त्रों से भाषा वर्ण कैसे निकले यह बताया है इसका एक उदाहरण यहाँ देखे – ऋग्वेद १/१/१ से किस तरह स्वर प्राप्त हुए- अग्निम्- इस शब्द से अ और इ का बोध हो जाता है | ईळे- इस दुसरे पद से दीर्घ और पूर्व बताये अ और इ से निर्मित ‘ए’ का बोध हो जाता है | पुरोहितं – इस पद से ‘उ’ का और ‘ओ’ का बोध हो जाता है तथा ‘अ’ और ‘उ’ की रचना के बाद इन दोनों की संधि का बोध हो जाता है | ऋत्विजम्- इससे वेद के विशिष्ट स्वर ‘ ऋ’ का बोध होता है | होतारं –इस पद से दीर्घ अ का बोध होता है | इस प्रकार वेद के प्रथम मन्त्र से ही “ अ ,आ , इ,ई ,ए,ओ ,ऋ का बोध हो जाता है | इस तरह अनेक मन्त्रों से अनेकों व्युत्पति इस पुस्तक में है | इसी प्रकार ऋतु विज्ञानं , भूतत्व विज्ञानं , पदार्थ ,जल विज्ञानं, यज्ञ विज्ञानं आदि का मूल वेद मन्त्रों के द्वारा वेदों से दिखाया है |सबसे अंत में उपसंहार के अंतर्गत धर्म का विवेचन है | इस प्रकार इस पुस्तक से पाठकों को ,मानव जीवन की सम्पूर्ण समस्याओं का विवेचन प्राप्त होगा जैसे – अध्यात्म , समाजशास्त्र , अर्थशास्त्र ,राजनीति ,शिक्षा और धर्म |
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