पुस्तक का नाम – वेद मञ्जरी
लेखक – डा. रामनाथ वेदालङ्कार
आदिकाल से ही वेद सभी का मार्गदर्शक रहा है। सभी वैदिक ऋषि मुनियों का एक स्वर में नाद है कि वेद ईश्वरीय वाणी है। ऋषि दयानन्द का उद्घोष था कि वेद सब सत्य विद्याओं का पुस्तक है, इसका पढ़ना-पढ़ाना सभी आर्यों का परम कर्तव्य है। अत: सभी को पूर्णनिष्ठावान हो कर वेदों का स्वाध्याय करना चाहिए।
प्रस्तुत ग्रन्थ “वेद मञ्जरी” डा. रामनाथ जी वेदालङ्कार द्वारा रचित है। इसमें प्रतिदिन वेद के एक मन्त्र का स्वाध्याय का लक्ष्य रखते हुए चारों वेदों में से ३६५ वेद मन्त्रों की भाव-भीनी मनोरम व्याख्या की गयी है। मन्त्र अध्ययन क्रम की दृष्टि से इसमें प्रथम ऋग्वेद के १२५ मन्त्रों की व्याख्या है तत्पश्चात यजुर्वेद के ४६, सामवेद के २०, अथर्ववेद के ८४ मन्त्रों की व्याख्या है।
प्रत्येक मन्त्र के प्रत्येक शब्दों का शब्दार्थ फिर विस्तृत व्याख्या है, अर्थ में प्रयुक्त निघण्टु, निरुक्त, शतपथ आदि के प्रमाण, धातु-निर्देश-निर्वचन का उल्लेख परिशिष्ट और टिप्पणियों में किया गया है। प्रत्येक वेद मन्त्र के देवता, ऋषि, छंद का निर्देश किया है, इनके बारे में संक्षिप्त जानकारी तथा मन्त्रों के देवता, छंद आदि का महत्व प्रयोजन का उल्लेख पुस्तक की भूमिका में किया गया है। प्रत्येक वेद के मन्त्रों की व्याख्या से पूर्व उस वेद की कुछ सूक्तियों का सङ्ग्रह “चतुर्वेद सूक्तियों” के नाम से पुस्तक में किया गया है।
आशा है कि पाठक इस सुन्दर ग्रन्थ को सहृदय स्वीकार कर इस मञ्जरी के एक-एक पराग का मधुपान कर अपने हृदय स्रोत को भरेंगे तथा अन्यों को भी वेद मधु का पान करायेंगे।
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