पुस्तक परिचयः संस्कृतव्याकरण-पारिभाषिककोश
संस्कृत-वाङ्गय को ह्रदयङ्गम कराने में व्याकरणशास्त्र की सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका तथा आधुनिक अध्ययन एवं अनुसन्धान में कोशों की अत्यन्त उपादेयता को दृष्टि में रखकर, प्रस्तुत-ग्रन्थ में संस्कृतव्याकरणशास्त्र में प्रयुक्त तकनीकी पदों को एकत्रित कर हिन्दीमाध्यम में परिभाषित करने का विनम्र प्रयास किया गया है। इसमें पाणिनीयतन्त्र के पारिभाषिक उद्धरणों, पाणिनीयेतर-सम्प्रदायों, प्रातिशाख्यों के व्याख्येय पदों, ऐतिह्य-संस्कृत-वैयाकरणों, व्याकरण के दार्शनिक चिन्तकों, ग्रन्थों तथा ग्रन्थकारों को विभिन्न सन्दर्भों सहित विवेचन कर समाहित किया गया है। जिससे अनेक शास्त्रों का अध्ययन न कर सकने वाले सुधी पाठक भी एक शब्द के अन्यान्य अर्थों को भिन्न-भिन्न सन्दर्भों तथा शास्त्रों के परिप्रेक्ष्य में उचित अर्थावधारण करने में समर्थ हो सकते हैं
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