पुस्तक का नाम – नामायन
लेखक का नाम – त्रिवेणी पौराणिक
अपूर्व पौराणिक
किसलिय पंचोली
परिचय और पहचान के लिये नाम का जानना आवश्यक ही नहीं, अनिवार्य है। सबसे पहले हम व्यक्ति का नाम ही पूछते हैं, कहां जाना है, पूछ कर स्थान का नाम जानते हैं। किससे मिलना है? प्रश्न से व्यक्ति का नाम पूछते हैं। क्या चाहिये? प्रश्न से वस्तु का नाम जानना चाहते है। नामकरण की प्रक्रिया सतत् जारी रहती है। नामकरण का प्रचलन वेदों से ही शुरू हुआ है इस सम्बन्ध में महर्षि मनु लिखते है –
“सर्वेषां तु स नामानि कर्माणि च पृथक् पृथक्।
वेदशब्देभ्य एवादौ पृथक् संस्थाश्च निर्ममे।।” – मनु. 2.21
अर्थात् पशुपक्षी आदि सब जीवों के नाम तथा कर्म पृथक्-पृथक् वेद शब्दों के अनुकूल उस परमात्मा ने रखे और भिन्न संस्थाएँ वेदानुसार बनाईं।
नामकरण में सबसे पहली दुविधा आती है कि सार्थक नाम का चुनाव किस प्रकार किया जावें अथवा कौनसा नाम बालक या बालिका का रखा जावे। कई बार लोग नामकरण के लिए उचित नामों का ज्ञान न होने के कारण बालकों के निर्थक या ऐसे नाम रख लेते है जो बाद में व्यंग बन जाते है। इसलिय नामों का उचित चयन होना आवश्यक है।
प्रस्तुत पुस्तक में 10000 से अधिक सार्थक नामों का सङ्कलन किया गया है, इस नामायन कोश की निम्न विशेषताऐं हैं-
- यह द्विभाषी कोश है।
- लिखित नामों के सही उच्चारण हेतु वर्तनी को रोमन लिपि में ध्वनि विज्ञान सम्मत शास्त्रीय व प्रतिष्ठित उच्चारण निर्देशी चिन्हों के साथ लिखा गया है।
- कोश के आरम्भ में देवनागरी की वर्णमाला को वर्णक्रमानुसार रोमन लिप्यन्तरण में दर्शाया गया है।
- सभी नाम शब्दों का हिन्दी और अंग्रेजी में शब्दार्थ दिया गया है।
- कई शब्दों के एकाधिक अर्थ दिये गये हैं।
- केवल वे नाम सङ्कलित किये गये हैं जिनका अर्थ शुभ, श्लाध्य और युग अनुरूप प्रासंगिक है।
- नामों को भाषा और व्याकरण की दृष्टि से परखा गया है। वर्तनी की शुद्धता का सर्वत्र ध्यान रखा है।
- नामों के मिथकीय, पौराणिक व ऐतिहासिक उपाख्यान भी यथाशक्य यथा स्थान दिये हैं।
- कई मौलिक और यौगिक नामों का गठन भी किया गया है।
- घृणास्पद और निरर्थक नामों को इस कोश में नहीं रखा गया है।
- इसमें देवनागरिक और रोमन दोनों क्रमानुसार अनुक्रमणिका भी दी गई है।
हमें पूर्ण विश्वास है कि पाठक इस पुस्तक का यथायोग्य लाभ लेगें एवं पुस्तक को अपने सगे-सम्बन्धियों को भी वितरित करेगें। यह पुस्तक उचित नामकरण के लिए एक मार्गदर्शक का कार्य करेगी।
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