पुस्तक का नाम – विज्ञान क्या है?
लेखक का नाम – आचार्य अग्निव्रत जी नैष्ठिक
आज का युग विज्ञान और तकनीक का युग कहा जाता है और इस क्षेत्र में हम तीव्र गति से प्रगति भी कर रहे हैं। हमारे जीवन को सुखी बनाने के लिए वैज्ञानिक नई – नई तकनीकों का विकास भी कर रहे हैं परन्तु क्या हम सुखी हो पाये? वर्तमान तकनीकों पर विचारें कि क्या विज्ञान ने हमें ऐसी कोई तकनीक दी, जिसका कोई भी दुष्परिणाम न हो? इसका अर्थ यह हुआ कि कहीं तो हमसे कोई भूल हो रही है। यह भूल यह है कि हमने भौत्तिक विज्ञान को ठीक से समझा नही। अपूर्ण भौत्तिक विज्ञान पर आधारित तकनीक हमें कभी सुख नहीं दे सकती है। जब कोई वैज्ञानिक किसी तकनीक का निर्माण करता है तो क्या वह सोचता है कि इसके दुष्परिणाम क्या होंगे? इसकी दृष्टि सदैव एकांकी ही रहती है। यही कारण है कि वर्तमान में कोई तकनीक निरापद नही है। वर्तमान विज्ञान आज अनेकों समस्याओं से घिरा हुआ है। सैद्धान्तिक भौत्तिकी बात करें तो पिछले 50 – 100 वर्षों में कुछ सिद्धान्तों के प्रायोगिक सत्यापन को छोड़कर कोई भी बड़ा अनुसंधान कार्य नही हुआ।
सृष्टि की प्रत्येक विद्या को हम गणित से समझना चाहते हैं परन्तु गम्भीरता से विचार करें, क्या यह सम्भव है? क्या हम सृष्टि में हो रही सभी प्रक्रियाओं को मात्र गणित के माध्यम से समझ व समझा सकते हैं? गणित हमारे विचारों को समझाने की एक भाषा मात्र है। यदि हम किसी सिद्धान्त को गणित से न समझा पाये, तो इसका अर्थ यह नहीं कि वह विज्ञान नहीं है। उदाहरण के लिए हम बीज से वृक्ष बनने की प्रक्रिया को गणित से नही समझा सकते, तो हम जटील ब्रह्माण्ड़ को गणित से कैसे जान सकते हैं। ऐसे ही प्रयोगों और प्रेक्षणों की अपनी एक सीमा होती है। यदि किसी वस्तु को आज हम प्रयोगों द्वारा सिद्ध नहीं कर सकते हैं तो इसका अर्थ यह नहीं है कि उस वस्तु का कोई अस्तित्व ही नहीं है। यदि हमें ब्रह्माण्ड़ के बारे में अधिक जानना है, तो हमें गणित एवं प्रयोगों की परिधि से बाहर आना होगा, अन्यथा हमारा जीवन कुछ समीकरणों को हल करने में ही निकल जाएगा।
वास्तव में विज्ञान क्या? क्या विज्ञान और दर्शन का आपस में कोई सम्बन्ध है? क्या विज्ञान दर्शन को नकारता है? आदि ऐसे ही अनेकों प्रश्नों के उत्तर सहित विज्ञान की सही परिभाषा करते हुए, शीर्ष वैज्ञानिकों, विज्ञान के छात्रों व प्रबुद्धजनों को एक नया मार्ग दिखाने का कार्य इस पुस्तिका के माध्यम से किया गया है। इसके साथ ही वैदिक विज्ञान के द्वारा पुस्तिका के अन्त में दिये गम्भीर प्रश्नों के उत्तर भविष्य में किसी काँफ्रैंस के माध्यम से देने का आह्वान किया है।
आशा है कि इस पुस्तक को पढकर आप सही अर्थों में समझ सकेगें कि विज्ञान क्या है?
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