पांच महायज्ञों में सबसे पहला ‘ब्रह्म-यज्ञ’ है। ‘ब्रा-यज्ञ का मुख्य भाग है सन्ध्या। सन्ध्या का अर्थ है ‘ध्यान करना’ अर्थात् परमात्मा के गुण, कर्म और स्वभाव के विषय में इस प्रकार सोचना कि हम परमात्मा के अस्तित्व का इस जगत् में और अपने जीवन में अनुभव कर सके।
इसीलिए ‘मन से सोचना सन्ध्या का मुख्य उद्देश्य है। जिस प्रकार आप शारीरिक स्वास्थ्य के जिए भोजन करते है. इसी प्रकार आध्यात्मिक और मस्तिष्क के स्वास्थ्य के लिए आप सन्ध्या अर्थात् ईश्वर के गुणों का ‘ध्यान’ करते हैं। आइए इस पुस्तक द्वारा विस्तार से जानें की सन्ध्या क्या है, क्यों करनी चाहिए तथा कैसे करनी चाहिए, ताकि हम सन्ध्या के मुख्य उद्देश्य को प्राप्त कर सके।
Reviews
There are no reviews yet.