पुस्तक का नाम – पातञ्जल योगदर्शन
(व्यासभाष्य ,भोजवृत्ति तथा “ वैदिक योग मीमांसा “ सहित)
लेखक – सतीश आर्य
योगदर्शन पर व्यासभाष्य एक प्रामाणिकभाष्य है।
वर्त्तमान युग के महान् योगी महर्षि दयानन्द सरस्वती द्वारा, विभिन्न ग्रन्थों में, प्रतिपादित योगविषयक मान्यता एवं सिद्धांतों के आधार पर योगदर्शन की प्रामाणिक व्याख्या।
इस योगभाष्य की विशेषताएँ, जो इसे दूसरे उपलब्ध भाष्यों से पृथक करती है, निम्न प्रकार हैं-
१ व्यासभाष्य और भोजवृत्ति का पदार्थ।
२ व्यासभाष्य और भोजवृत्ति पर उपलब्ध पाठभेदों का यथासम्भव टिप्पणी में संकलन।
३ सूत्रों पर महर्षि दयानन्द सरस्वती के विभिन्न ग्रन्थों में उपलब्ध अर्थों/विचारों का, सूत्रों के साथ प्रस्तुतिकरण | (१०३ सूत्रों पर ऋषि दयानन्द के ग्रन्थों तथा वेदभाष्य से प्रमाण)।
४ सूत्रों पर “महर्षि व्यास “ के मन्तव्य तथा व्यासभाष्य की अन्त: साक्षी के अनुकूल“ वैदिक योग मीमांसा “नामक आर्य भाषा में व्याख्या | (१४४ सूत्रों की व्याख्या में योगसूत्रों तथा व्यासभाष्य की अन्त: साक्षी एवं सन्दर्भ)।
५ “वैदिक योग मीमांसा“ में आवश्यक स्थलों में, सूत्रों में व्याख्यात विषयों का, वेद तथा वेदानुकूल ग्रन्थों के प्रमाणों द्वारा प्रतिपादन। (१०७ सूत्रों पर लगभग ५०० प्रमाण)
६ विभूतिपाद की विभिन्न विभूतियों का व्यासभाष्य के आधार पर, वेद तथा वेदानुकूल ग्रन्थों में उपलब्ध प्रमाणों के अनुकूल व्याख्या एवं स्पष्टीकरण।
७ विभिन्न भाष्यकारों द्वारा प्रक्षेप अथवा असम्भव आदि कोटियों में रखी गई विभूतियों / सिद्धियों का वेद तथा वेदानुकूल ग्रन्थों के सिद्धान्तों के आधार पर स्पष्टीकरण तथा विभूतियों की प्रामाणिकता का प्रतिपादन।
८ महर्षि व्यास एवं महर्षि पतञ्जलि के कतिपय सिद्धान्तों के प्रतिकूल, विभिन्न व्याख्याकारों द्वारा, योग के विभिन्न सूत्रों में प्रतिपादित हुई मान्यताओं एवं सिद्धान्तों का खण्डन।
९ आर्यजगत् के विभिन्न विद्वानों द्वारा व्यासभाष्य में कथित, प्रक्षेपों के आरोप का निराकरण तथा तथाकथित प्रक्षिप्त स्थलों के वास्तविक अभिप्राय का स्पष्टीकरण।
१० प्रस्तुत “वैदिकयोगमीमांसा“ में, वेद तथा वेदानुकूल ग्रन्थों में प्रतिपादित सत्य सिद्धांतों के अनुकूल तथा प्रामाणिक व्याख्या।
पाठकों के लिए पठनीय और संग्रहणीय ग्रन्थ है।
ग्रन्थ साईज – २०*३०/८
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