Vedrishi

Free Shipping Above ₹1500 On All Books | Minimum ₹500 Off On Shopping Above ₹10,000 | Minimum ₹2500 Off On Shopping Above ₹25,000 |
Free Shipping Above ₹1500 On All Books | Minimum ₹500 Off On Shopping Above ₹10,000 | Minimum ₹2500 Off On Shopping Above ₹25,000 |

बौधायनधर्मसूत्रम्

Baudhayan Dharma Sutram

400.00

SKU 36808-PP01-0H Category puneet.trehan
Subject : Dharma Sutra
Edition : 2015
Publishing Year : 2015
SKU # : 36808-PP01-0H
ISBN : 8186700137
Packing : N/A
Pages : 308
Dimensions : 14X22X4
Weight : 140
Binding : Hardcover
Share the book

ग्रन्थ का नाम बौधायनधर्मसूत्रम्

अनुवादक डॉ. नरेन्द्र कुमार आचार्य

वैदिक साहित्य का आदि उत्स वेद है। वेद चार है ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद। वेदों के अध्ययन करने के लिए वेदाङ्गों का ज्ञान आवश्यक है। वेदाङ्ग छः है शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरूक्त, ज्योतिष और छन्द। वेदाङ्गों के ज्ञान हो जाने पर अध्येता की वेदों में गति हो जाती है। वह वेदों के मर्म को समझने में समर्थ हो जाता है। वेदाङ्गों में कल्पसूत्र अति महत्व पूर्ण है, इसमें यज्ञ, याग, धार्मिक अनुष्ठान आदि का विस्तार से विवेचन हुआ है। इन्हीं कल्पसूत्रों के अन्तर्गत धर्मसूत्र की गणना है।

आज गौतम, बौधायन, आपस्तम्ब, वसिष्ठ, वैखानस प्रमुख धर्मसूत्र माने गए है। इनमें बौधायन धर्मसूत्र गौतम के बाद का है। इसमें महाभारत के आदि पर्व का एक पद्य भी उद्धृत मिलता है जिससे इसकी रचना महाभारत के बाद निश्चित होती है। इस धर्मसूत्र में वेदों को धर्म विषय में प्रमाण माना है। इस ग्रन्थ में धर्म के मर्म को सूत्रात्मक शैली में समझाने का अनूठा प्रयास किया गया है। इस धर्मसूत्र में भारतीय संस्कृति के स्तम्भों के दर्शन होते है। मनुष्य के लिए अनुपालनीय चारों आश्रम व्यवस्था का विस्तृत वर्णन इस धर्मसूत्र में किया गया है। इसके साथ ही इस धर्मसूत्र में मनुष्य को परिष्कारवान बनाने पर जोर दिया है। कहते हैं कि जैसा खाए अन्न वैसा होवे मन इस सिद्धान्त को आत्मसात् करते हुए इस धर्मसूत्र में भक्ष्य-अभक्ष्य का विचार प्रस्तुत किया है। यज्ञ-महायज्ञों से मानव खिल उठता है। संक्षेप में इस धर्मसूत्र में मानवजीवन के व्यस्त क्रिया कलापों को प्रकट करने का प्रयास किया है।

इस धर्मसूत्र का संक्षिप्त विषय विवरण निम्न प्रकार है

इसमें चार प्रश्न है। यह प्रश्न अध्यायों में विभक्त है। अध्यायों को खण्डों में बांटा गया है। प्रथम प्रश्न में 11 अध्याय एवं 21 खण्ड है। दूसरा प्रश्न दस अध्यायों और 18 खण्डों में विभक्त है। तीसरे में 10 अध्याय एवं 10 खण्ड है। चौथे में 8 अध्याय एवं 8 खण्ड है।

इनमें प्रथम प्रश्न में धर्म, आर्यावर्त, ब्रह्मचर्य, यज्ञ नियम, यज्ञ पात्र आदि का वर्णन है।

द्वितीय प्रश्न में पातक, पतनीय कर्म की विस्तृत विवेचना है। संध्या, उपासना, शुद्धि आदि का वर्णन है।

तृतीय प्रश्न में परिव्राजक के भेद, जीवनयापन की वृत्तियों का वर्णन है।

चौथे प्रश्न में कन्यादान, ऋतुकाल, गणहोम आदि की चर्चा की हुई है।

इस ग्रन्थ में कुछ प्रक्षिप्त प्रकरण है जो कि परिवर्ती काल में कुछ लोगों द्वारा प्रक्षिप्त किये गये हैं। जैसे कि मांस-भक्षण, तर्पण और श्राद्धादि।

प्रस्तुत संस्करण गोविन्द स्वामी टीका सहित हिन्दी अनुवाद में है। इसमें बौधायन के भाव को सरल और स्पष्ट करने का प्रयास किया है। आशा है कि ये अनुवाद वेद अध्येताओं को अत्यन्त लाभप्रद होगा।  

Weight 545 g

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Baudhayan Dharma Sutram”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recently Viewed

You're viewing: Baudhayan Dharma Sutram 400.00
Add to cart
Register

A link to set a new password will be sent to your email address.

Your personal data will be used to support your experience throughout this website, to manage access to your account, and for other purposes described in our privacy policy.

Lost Password

Lost your password? Please enter your username or email address. You will receive a link to create a new password via email.

Close
Close
Shopping cart
Close
Wishlist