Vedrishi

Free Shipping Above ₹1500 On All Books | Minimum ₹500 Off On Shopping Above ₹10,000 | Minimum ₹2500 Off On Shopping Above ₹25,000 |
Free Shipping Above ₹1500 On All Books | Minimum ₹500 Off On Shopping Above ₹10,000 | Minimum ₹2500 Off On Shopping Above ₹25,000 |

आर्य संस्कृति के संवाहक आचार्य रामदेव

Arya sanskriti ke Samvahak Acharya Ramdev

300.00

SKU 37057-DY00-0H Category puneet.trehan

In stock

Subject : History
Edition : N/A
Publishing Year : N/A
SKU # : 37057-DY00-0H
ISBN : N/A
Packing : N/A
Pages : N/A
Dimensions : N/A
Weight : NULL
Binding : N/A
Share the book

पुस्तक का नाम आर्य संस्कृति के संवाहक आचार्य रामदेव

लेखक का नाम डॉ. विनोदचन्द्र विद्यालङ्कार

आर्यसमाज पर स्वामी दयानन्द जी द्वारा किये गए उपकारों का ऋषि ऋण है। इस ऋण को चुकाने के लिए आर्य-समाज में अनेकों विद्वान और क्रान्तिकारी हुए है जिनमें से अनेकों ने अपनी साहित्यिक साधना द्वारा इस समाज को श्रेष्ठ साहित्य प्रदान कर, समाज को जागरूक किया है और लोगों की जिज्ञासाओं का समाधान कर ज्ञान में वृद्धि की है। इन्हीं में से एक है आचार्य रामदेव जी।

आचार्यरामदेव जी के जीवन चरित्र और उनके द्वारा रचित साहित्य एवं उनका आर्य समाज में योगदान का वर्णन प्रस्तुत पुस्तक आर्य संस्कृति के संवाहक आचार्य रामदेव में किया है। यह पुस्तक छः खण्डों में विभाजित है। इस पुस्तक के प्रथम खण्ड़ भाव प्रसून शीर्षक प्रथम खण्ड़ में कवियों ने अपनी काव्यमय प्रणामाञ्जलि अर्पित की है।

द्वितीय खण्ड़ में जीवन गरिमा में आचार्य जी की जीवन-गाथा के साथ-साथ उनके उत्कृष्ट स्मारक कन्या गुरूकुल देहरादून का विस्तृत परिचय दिया गया है। तृतीय व चतुर्थ खण्ड़ में विभिन्न स्रोतों से सङ्कलित संस्मरण-सुमनों की माला है। तृतीय खण्ड़ में शिष्य परम्परा की कलम से तथा चतुर्थ खण्ड़ में सतत सान्निध्य प्राप्त सुधीजनों की लेखनी से निःसृत स्मृति-पुञ्ज को प्रकाश में लाया गया है। पाँचवें खण्ड़ में उन लोगों द्वारा आचार्य जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व की एक समीक्षात्मक झांकी प्रस्तुत की गई है, जो उनकें सानिध्य में तो नहीं आये, पर उनकी विरुदावली पढ़ी-सुनी-समझी है। आचार्य प्रवर की लेखनी से शीर्षक में प्रथम उन वरिष्ठ आर्य महापुरुषों के जीवन की एक झलक है जिनकों उन्होनें अति निकट से देखा था। उनमें प्रमुख हैं पं. गुरुदत्त विद्यार्थी, मास्टर दुर्गापाल, ड़ॉ. चिरंजीवी भारद्वाज, आर्य पथिक पं. लेखराम एवं उनके धर्मपिता स्वामी श्रद्धानन्द। इसके बाद विचार मंथन के अन्तर्गत प्रथम चार लेखों में विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में समय-समय पर प्रकाशित महर्षि दयानन्द सरस्वती एवं आर्यसमाज के सम्बन्ध में आचार्य जी के विचार हैं, कुछ लेख उनकी कृति से लिए गए हैं। परिशिष्ट में आचार्य जी के कतिपय परिजनों एवं संस्मरण-लेखकों का संक्षिप्त परिचय दिया गया है।

इसमें आचार्य जी के परिजनों के अतिरिक्त आचार्य जी के कंधे से कंधा मिलाकर कार्य करने वाले कुछ सहयोगियों, गुरुकुल के तत्कालीन कतिपय गुरुजनों, आचार्य जी के सान्निध्य में दीक्षारम्भ से दीक्षांत तक विद्याध्ययन करने वाले कतिपय स्नातकों आदि के चित्रों को दिया गया है।

ये जीवन चरित्र पाठकों के लिए अत्यन्त प्रेरणादायक होगा।  

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Arya sanskriti ke Samvahak Acharya Ramdev”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recently Viewed

You're viewing: Arya sanskriti ke Samvahak Acharya Ramdev 300.00
Add to cart
Register

A link to set a new password will be sent to your email address.

Your personal data will be used to support your experience throughout this website, to manage access to your account, and for other purposes described in our privacy policy.

Lost Password

Lost your password? Please enter your username or email address. You will receive a link to create a new password via email.

Close
Close
Shopping cart
Close
Wishlist