सुश्रुत संहिता, शल्य तंत्र प्रधान पुस्तक है जो अपने समय में लिखी गई बेजोड़ कृति है और आज भी जबकि तकनीक तथा विज्ञान के अन्य क्षेत्रों में अनुपम प्रगति हो चुकी है, आधुनिक सर्जन विभिन्न बातों, तकनीक की बारीकियों एवं विचारों के लिए सुश्रुत संहिता का सतत् अध्ययन करते हैं! इसी बात को ध्यान में रखते हुए सुश्रुत संहिता के मूल श्लोकों के साथ-साथ डल्हण की निबन्ध संग्रह टीका का अनुवाद प्रस्तुत किया गया है और एक सर्जन तथा संस्कृत विद्वान से मिल कर किए गए प्रयास का यह प्रतिफल है कि संस्कृत में हुई गूढ़ तकनीकी जानकारियों को भी उजागर किया गया है। संसार में सर्वप्रथम सुश्रुत ने शल्य चिकित्सा की प्रशिक्षित विधि को विकसित कर उसे लिपिबद्ध किया जिसमें सर्जन के गुण, प्रशिक्षण अवधि में बहिरंग
एवं अन्तरंग विभागों में कार्य विधि, सब्जियों एवं फलों पर शास्त्रकर्माभ्यास की योग्या तथा पूर्व कर्म, प्रधान कर्म एवं पश्चात कर्म की जानकारी सन्निहित है। शल्य चिकित्सा के स्नातकोत्तर प्रशिक्षण एवं अनुसंधान का भी उल्लेख किया है। सर्वप्रथम श्वच्छेद का वर्णन किया एवं इस विधि का विकास भी किया। आतुरालय में आवश्यक यन्त्र, शस्त्र, क्षार तथा अग्निकर्म उपकरणों तथा रक्तावसेचन के लिए जलौका, शृंग, अलाबु, प्रच्छान एवं सिरावेध का उल्लेख किया है। सुश्रुत ने रक्त को चौथा दोष माना इसीलिए रक्तावसेचन का विशद वर्णन किया। साथ ही रक्त को “जीवन'' मान कर उस के महत्व को समझाते हुए रक्तस्राव को रोकने के चार उपाय भी बताए हैं। > (
व्रण की चिकित्सा के लिए साठ उपक्रम, जिनमें वैकृतापहः का वर्णन जिस पर आज की प्लास्टिक सर्जरी विकसित हुई है अनुपम देन है। नासा सन्धान एवं कर्ण सन्धान विधियों का विस्तृत विवेचन मिलता है।
काण्डभग्न, विभिन्न बन्धन, अश्मरी, अर्श, भगन्दर, मूत्रवृद्धि, दकोदर, बद्धगुदोदर, परिस्राव्युदर आदि रोगों का निदान एवं शल्य कर्म का वर्णन किया
द्रव्यगुण विज्ञान भी सुश्रुत की मौलिक देन है तथा अनेक कल्पनाओं जैसे चूर्ण, रस क्रिया, पुटपाक, सुरा, मन्थ, आसव, अरिष्ट, लेह, अमस्कृति, क्वाथ आदि का निर्माण का वर्णन मिलता है।
काय चिकित्सा, कौमार भृत्य, सूतिकागार, मूढगर्भ की चिकित्सा का वर्णन मिलता है। अगत तंत्र के कुछ मौलिक तथ्यों को सुश्रुत ने सर्वप्रथम प्रस्तुत किया है। उत्तर तन्त्र में नेत्र, कर्ण, नासा के रोगों का उपचार एवं पंचकर्म का वर्णन है। वर्णन सम्भवत: सुश्रुत ने सर्व प्रथम वर्णन किया है। युक्तसेनीय अध्याय में सेना के जवानों की चिकित्सा व्यवस्था एवं रोगों से बचाने का संक्रामक रोगों के फैलने की विधियों का वर्णन भी सुश्रुत ने सर्वप्रथम किया है। वर्तमान पुस्तक में उक्त सभी विषयों को सरल भाषा में विस्तृत रूप से वर्णन करने का प्रयास किया गया है जिससे स्नातक, परास्नातक तथा विद्वान पाठकों को अध्ययन करने में रुचिकर लगेगी।
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Sushrut Samhita (3 Vol.)
सुश्रुतसंहिता (3 भाग)
Sushrut Samhita (3 Vol.)
₹1,685.00
Subject : Sushrut Samhita (3 Vol.)
Edition : 2019
Publishing Year : N/A
SKU # : 37508-CO00-SH
ISBN : 9788176373883
Packing : 3 Volume
Pages : N/A
Dimensions : N/A
Weight : NULL
Binding : Hardcover
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