दर्शन एवं योगदर्शन परिचय
‘दर्शन’ शब्द की उत्पत्ति ‘दृश्’ धातु से हुई है। इसका अर्थ है ‘जिसके द्वारा ‘देखा जाए’। किसी भी तत्त्व का साक्षात्कार बिना ज्ञान या जानकारी के सम्भव नहीं है। अतः जो ज्ञान या जानकारी हमें किसी भी तत्त्व का साक्षात्कार करवाए उस विद्या को दर्शन कहते हैं। दर्शन को अंग्रेजी में ‘फिलॉसफी’ (Philosophy) कहते हैं। इसका अर्थ भी ज्ञान होता है। वैसे अंग्रेजी में इसका अर्थ प्रेम भी है। यहाँ प्रेम शब्द विद्या के लिए प्रयुक्त (प्रयोग) हुआ है। इसका अर्थ विद्या के प्रति लगाव या अनुराग होता है. अतः दर्शन का अर्थ ऐसी विद्या या ज्ञान से है जो हमें विभिन्न विषयों का यथार्थ ज्ञान करवाता है। इसी के माध्यम से हम किसी भी पदार्थ या वस्तु के वास्तविक स्वरूप को समझ सकते हैं।
भारतीय दर्शन
भारतीय दर्शनों को मुख्य रूप से दो वर्गों में विभाजित किया गया है-
1. आस्तिक दर्शन (Orthodox Philosophy) 2. नास्तिक दर्शन (Heterodox Philosophy)
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