हम क्यों पढ़ते हैं?
यारे बच्चो! आप सभी स्कूल जाते हो, वहाँ कुछ न कुछ आप पढ़ते हो, बहुत कुछ सीखते हो और बड़े हो जाते हो, परन्तु बिना किसी लक्ष्य के आगे बढ़ते रहना भी ठीक उसी प्रकार है, जैसे कोल्हू का बैल चलता तो खूब है, लेकिन कहीं पहुँच नहीं पाता। ऐसा आप लोगों के साथ न घटे। इसलिये पढ़ने का उद्देश्य अपने सामने अवश्य रखो।
प्रश्न : हम क्यों पढ़ते हैं?
उत्तर : ‘कुछ’ बनने के लिए।
प्रश्न : ‘कुछ’ से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर : कुछ यानि ‘बड़ा’ बनने के लिए।
प्रश्न : ‘बड़ा’ कैसे बन सकते हैं?
उत्तर: Living Standard को ऊंचा करके।
प्रश्न : Living Standard से आप क्या समझते हैं?
उत्तर : सभी सुख-सुविधाओं से भरा हुआ जीवन, जिसमें रहने की, खाने-पीने की, ऐशो-आराम की, मौज-मस्ती की
सारी चीजें उपलब्ध हों।
प्रश्न : ये सारी चीजें तो कम पढ़े-लिखे या अनपढ़ के पास भी आ जाती हैं।
उत्तर : डॉक्टर, इंजीनियर जैसे अच्छे पदों पर पहुंचने के लिये पढ़ते हैं।
प्रश्न : डॉक्टर और मजदूर में क्या अन्तर है?
उत्तर : डॉक्टर बनने में प्रतिष्ठा है, मजूदर बनने में नहीं।
प्रश्न : दोनों की मृत्यु में क्या अन्तर है?
उत्तर : मृत्यु तो दोनों की एक जैसी होती है।
प्रश्न : डॉक्टर बनने से क्या लाभ है?
उत्तर : डॉक्टर दूसरों को जीवन देता है, सेवा करता है।
प्रश्न : कितने ऐसे डॉक्टर हैं जो दूसरों को जीवन दे रहे हैं? या जीवन छीन रहे हैं, क्या यही सेवा-भाव है?
उत्तर : बहुत कम, न के बराबर। सेवा में ईमानदारी होती है दूसरों की भलाई होती है। मजदूर तो किसी का जीवन नहीं लेता। हम देखते हैं कि जो मनुष्य पढ़ा-लिखा हुआ है वह एक डॉक्टर, इंजीनियर तो बन सकता है पर मनुष्य बनना कठिन है, इससे पता चलता है कि हम मनुष्य बनने के लिए पढ़ते हैं। मनुष्य बनने के लिए तीन बातें याद रखनी चाहिए :-
(1) झूठ से सच की ओर जाना है।
(2) अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ना है।
(3) मृत्यु से अमृत में पहुंचना है।
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