आर्ष और अनार्ष ग्रंथ
आर्ष और अनार्ष ग्रंथ वेद ऋषि प्रकल्प द्वारा विशेषत: आर्ष ग्रंथों का ही विक्रय किया जाता रहा है किंतु कुछ समय से जिज्ञासु पाठकों द्वारा अन्य साहित्यों की भी मांग की जा रही है। जिनमें कुछ साहित्य अनार्षकोटि का तथा कुछ अन्य मतों व मान्यताओं पर भी आधारित है। ऐसे अनेकों शोधार्थी हैं जिन्हें आर्ष […]
Read Moreआश्रम-व्यवस्था
आश्रम-व्यवस्था वेद ने मनुष्य-जीवन को चार भागों में व्यक्त किया है।वे भाग हैं-ब्रह्मचर्य आश्रम,गृहस्थ आश्रम,वानप्रस्थ आश्रम और सन्यास आश्रम। आश्रम को आश्रम इसलिए कहा जाता है कि उसमें व्यक्ति पूर्णतया श्रम करता है और अपने जीवन को सफल बनाता है।मनुष्य जीवन की सफलता इसी बात पर आधारित है कि वह चारों आश्रमों में परिश्रम करे। […]
Read Moreवैदिक धर्म में तलाक नहीं हो सकता
वैदिक धर्म में तलाक नहीं हो सकता वैदिक धर्म में तलाक की भी जगह नहीं हैं। वर-वधू को विवाह से पूर्व भली-भाँति देख-भाल और पड़ताल करके अपना साथी चुनने का आदेश दिया गया है – खूब अच्छी तरह परख कर अपना साथी चुनो। पर जब एक बार विवाह हो गया तो फिर विवाह टूट नहीं […]
Read Moreईश्वरीय-ज्ञान सृष्टि के आरम्भ में आना चाहिये
ईश्वरीय-ज्ञान सृष्टि के आरम्भ में आना चाहिये परमेश्वर सब मनुष्यों के माता-पिता हैं। वे सभी मनुष्यों का कल्याण चाहते हैं । अतः परमेश्वर द्वारा जो ज्ञान दिया जायेगा वह सृष्टि के आदि [आरंभ] में दिया जायेगा। जिस से सृष्टि के आदि के लोग भी लाभ उठा सके और उन के पीछे आने वाले अन्य लोग […]
Read Moreवर्ण-व्यवस्था:
वर्ण-व्यवस्था: संसार में अनेक जातियाँ हैं, जैसे: मनुष्य, पशु, पक्षी, सरीसृप, वृक्ष आदि। जब वृक्षों, पक्षियों, पशुओं, मछली आदि जलचरों की अनेक प्रजातियाँ पायी जाती हैं, तो ऐसा कैसे हो सकता है, की मनुष्य जाति में भी अनेक वर्ण ना पाए जायें ? आम का वृक्ष एक भिन्न जाति का होता है, किन्तु इस आम […]
Read Moreईश्वर स्तुति
ईश्वर स्तुति वेदों में अनेक मन्त्र हैं, जिनमें परमात्मा की स्तुति, प्रार्थना और उपासना का उपदेश है. आइये पहले इसके अर्थों पर मनन करें। स्तुति: ईश्वर के गुणों का चिन्तन करना, ईश्वर में प्रीति, उसके गुण, कर्म, स्वभाव से अपने गुण, कर्म, स्वभाव का सुधारना। स्तुति 2 प्रकार की होती है:१) सगुण स्तुति : ईश्वर […]
Read Moreदान / Donation
दान / Donation दान का महत्त्व समाज में वही है जो शरीर में रक्त का है। यदि शरीर में रक्त की कमी हो जाए तो शरीर दुर्बल हो जाता है और उसे भिन्न-भिन्न प्रकार के विकार, रोग लग सकते है। इसी प्रकार समाज में दान के अभाव में कार्य करने वाली सामाजिक संस्थाएँ निर्बल हो […]
Read Moreमन – गुण व अवस्था (Mind – Elements and State)
मन – गुण व अवस्था Mind – Elements and State मन को संयम में लाने के लिए केवल दृढ़ इच्छा-शक्ति का होना ही पर्याप्त नहीं है। हमें मन के स्वभाव का भी ज्ञान होना चाहिए। हिन्दू-दर्शन के अनुसार मन के ३ उपादान हैं जिनके कारण मन सदा एक ही स्थिति में नहीं रहता। मन के […]
Read Moreहिन्दू होने पर गर्व करें (Be proud to be a Hindu)
हिन्दू होने पर गर्व करें आज आपको बहुत लोग कहते मिल जाएंगे, “भगवान एक है, सभी धर्म उसे पाने का मार्ग बताते हैं। आप किसी भी धर्म को मानिए आपको भगवान मिलेंगे। सभी धर्म एक-दूसरे से प्रेम की बात कहते हैं।” ऐसा कहने वाले वास्तविकता में बिना किसी अध्ययन, धर्म-ज्ञान व शोध के अभाव में […]
Read Moreमन-संयम (Mind control)
मन-संयम Mind control सुख-भोग की स्पृहा में मन नित इच्छाएं उत्पन्न करता रहता है। इन इच्छाओं की पूर्ति कुछ समय के लिए मन को सुख की अनुभूति कराती हैं परन्तु अधिकांशतः मनुष्य इन इच्छाओं को पूरा करने में ही लगा रहता है और सुखी नहीं हो पता। तो क्या मनुष्य को सुख-भोग की स्पृहा का […]
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