वीर बंदा बैरागी – भाग (२/२) Veer Banda Bairagi – part (2/2)
वीर बंदा बैरागी – भाग (२/२) Veer Banda Bairagi – part (2/2) जहां एक ओर सत्तालोलुप मुस्लिम शासक अपनी भीतरी कलह में उलझे पड़े थे तो वहीं दूसरी ओर वीर बंदा बैरागी ने सिख राज्य की स्थापना कर दी थी व सधौरा और लोहगढ़ पर पुन: अपना ध्वज लहरा दिया था। राज्य का दायित्त्व अन्य […]
Read Moreवसुधैव कुटुम्बकम् / Vasudhaiv Kutumbakam
वसुधैव कुटुम्बकम् / Vasudhaiv Kutumbakam अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम् । उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम् ॥ यह अपना बंधु है और यह अपना बंधु नहीं है, इस तरह की गणना छोटे चित्त वाले लोग करते हैं। उदार हृदय वाले लोगों की तो (सम्पूर्ण) धरती ही परिवार है। हिन्दुओं को महोपनिषद का यह श्लोक बार-बार […]
Read Moreक्यों आर्यसमाज धर्म के क्षेत्र में समालोचना और तर्क के प्रयोग पर इतना बल देता है?
क्यों आर्यसमाज धर्म के क्षेत्र में समालोचना और तर्क के प्रयोग पर इतना बल देता है? क्यों आर्यसमाज धर्म के क्षेत्र में समालोचना और तर्क के प्रयोग पर इतना बल देता है? • • वैदिकधर्मी तर्क को ऋषि मानते हैं • ———————– – आचार्य प्रियव्रत वेदवाचस्पति आर्यसमाज आचार्य यास्क और भगवान् मनु का […]
Read Moreवेदऋषि द्वारा आर्ष ग्रंथों के साथ-साथ अनार्ष ग्रन्थों के विक्रय का कारण
वेदऋषि द्वारा आर्ष ग्रंथों के साथ-साथ अनार्ष ग्रन्थों के विक्रय का कारण वेद ऋषि प्रकल्प द्वारा आज तक आर्ष ग्रंथों का ही विक्रय किया जाता रहा है किन्तु जिज्ञासु पाठकों द्वारा अनार्षकोटि के तथा कुछ अन्य मतों व मान्यताओं के साहित्यों की भी मांग की जा रही थी। शोधार्थियों को आर्ष ग्रंथों के अलावा ऐसे […]
Read Moreहिंदुत्वव अब्रहमिक धर्म (Hindutv and Abrahamic religions)
हिंदुत्वव अब्रहमिक धर्म यूरोपीय लोगों द्वारा विशेष रूप से अंग्रेजों द्वारा ‘आर्यों’ की संस्कृति, जीवन-शैली आदि का अपनी श्रेणियां और स्पष्टीकरण थोपते हुए धर्म का नाम देना गलत व त्रुटिपूर्ण था। कितने ही सत्य व तथ्य छिपा दिए गए। समय, काल-खंड, घटनाओं को गलत प्रस्तुत किया गया। कई वैज्ञानिक खोजों (जैसे गुरुत्वाकर्षण के नियम, परमाणुओं […]
Read Moreमन व स्वभाव (Mind and Nature)
मन व स्वभाव हमने जाना कि मन आत्मा का सेवक है व अपने स्वामी (आत्मा) को प्रसन्न करने के लिए नित नए – नए भाव उत्पन्न करता रहता है। बुद्धि से परामर्श के उपरांत मन इन्द्रियों द्वारा उस भाव को कार्य-रूप दे देता है। (किन्ही विषयों में व्यक्ति का स्वभाव बन जाने पर मन बुद्धि […]
Read Moreचातुर्मास, पितर पक्ष श्राद्ध, गुरू पूर्णिमा, काँवड़ यात्रा का तार्किक विवेचन
चातुर्मास, पितर पक्ष श्राद्ध, गुरू पूर्णिमा, काँवड़ यात्रा का तार्किक विवेचन चातुर्मास श्रावण, भाद्रपद, आश्विन और कार्तिक चार महीने की अवधि है, जो आषाढ़ शुक्ल एकादशी से प्रारंभ होकर कार्तिक शुक्ल एकादशी तक चलता है। चातुर्मास के दौरान मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है अपितु धर्म-कर्म और दान-पुण्य के लिए चातुर्मास का महीना अनुकूल […]
Read Moreवेद ऋषि परिचय
वेद ऋषि परिचय Bharat, a land which once had a glorious past, where innumerous high-ranking scholars and philosophers were born who established the nation as a world leader. The foundation of Bharat being world leader were Vedas and texts written by sages who led their life on Vedic principles, and the usage of the Vedic […]
Read Moreशरद ऋतुचर्या के स्वास्थ्य में योगदान पर एक वैज्ञानिक विश्लेषण
शरद ऋतुचर्या के स्वास्थ्य में योगदान पर एक वैज्ञानिक विश्लेषण शरद ऋतुचर्या के स्वास्थ्य में योगदान पर एक वैज्ञानिक विश्लेषण———-वैद्य आशुतोष पाण्डेय आयुर्वेद में दिनचर्या, रात्रिचर्या व ऋतुचर्या का अनुपालन स्वास्थ्य-रक्षा की रणनीति है। ऋतुचर्या पर्यावरण और पारिस्थिक तंत्र के साथ हमारे रिश्तों की निरंतर सार-संभाल या अनुकूलन के रूप समझी जा सकती है। यह […]
Read Moreआत्मनिरीक्षण
आत्मनिरीक्षण यन्मे छिद्रं चक्षुषो हृदयस्य मनसो वातितृण्णंबृहस्पतिर्मे तद्दधातु ।शन्नो भवतु भुवनस्य यस्पतिः ।।यजुर्वेद ३६/२ भावार्थ – हे जीवन दाता ! मैंने गीता , रामायण , दर्शन , उपनिषद् , वेद आदि ग्रन्थों को पढ़ा , किन्तु मन की पुस्तक को तो कभी खोलकर देखा ही नहीं । मन में उठने वाली अनिष्ट पापवृत्तियों की ओर […]
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