पुस्तक का नाम – भारतवर्ष का बृहद इतिहास
लेखक – पंडित भगवद्दत्त जी
भारतीयों का एक प्राचीन ,गौरवशाली इतिहास रहा है | इस इतिहास का संकलन प्राचीन शास्त्रों ,शिलालेखो , सिक्को , विदेशी यात्रियों के वृतान्तो पर है | इनके दुरपयोग और दुर्विश्लेष्ण से अनेको इतिहासकारो ने भारतीय इतिहास ,भारतीय ऋषियों ,महापुरुषो पर मिथ्यारोप किये और काल गणना को अशुद्ध निकाला | भारत का इतिहास अर्वाचीन सिद्ध करने की कोशिस की |
पंडित भगवद्दत्त जी ने अथक प्रयास और अनेको स्थानों के भ्रमण ,अनेको पांडुलिपियों के अध्ययन से भारतवर्ष का बृहद इतिहास नाम पुस्तक लिखी इसके प्रथम भाग में –
प्रथम अध्याय में – इतिहास आदि उन्नीस शब्दों का यथार्थ अर्थ प्रदर्शित किया है | जिससे ज्ञात होगा कि भारत में प्राचीन काल से इतिहास का सम्मान था |
द्वितीय अध्याय में – ब्रह्मा ,नारद ,उशना आदि के काव्यो द्वारा भारत में इतिहास का असाधारण आदर दिखाया है | प्राचीन काल में इतिहास ग्रंथो की विपुलता का परिचय इस अध्याय में मिलेगा | पाश्चात्य लोगो ने तिथि निर्धारण में जो मनमानी कल्पनाये की है उनका आभास भी यहा मिलेगा |
तृतीय अध्याय में – इतिहास के विकृति के कारण पर प्रकाश डाला है |
चतुर्थ अध्याय में – भारतीय इतिहास के स्त्रोत निर्देशित है |
पंचम अध्याय में – प्राचीन वंशावलियो की सत्यता प्रमाणिक की गयी है |
षष्ठ अध्याय में – दीर्घजीवी पुरुष कौन थे ? मानव ऋषि देव आयु का रहस्य खोला गया है |
सप्तम अध्याय में – पुरातन काल मान का संक्षिप्त वर्णन है | सतयुग ,द्वापर,त्रेता कलियुग आदि युगों की शंकाओं का समाधान है |
अष्टम अध्याय में – ब्राह्मण ग्रन्थ और इतिहास का मतैक्य प्रदर्शित किया है |
नवम अध्याय में – वैदिक ग्रंथो एवं महाभारत के रचनाक्रम का स्पष्टीकरण है |
दशम अध्याय में – भारतीय इतिहास को संसार इतिहास की तालिका सिद्ध किया है | कालडिया ,मिश्र ,ईरान ,आदि देशो ने भारत से क्या क्या सीखा यह सब बताया है |
एकादश अध्याय में – भारतीय इतिहास की तिथि गणना के मूलाधार स्तम्भों का उलेख है | विंटर्निटज , जवाहरलाल नेहरु , बट श्रीकृष्ण घोष आदि की कल्पनाओं को अपास्त किया है |
द्वादश अध्याय में –“मिथ “ शब्द पर विचार किया है | पाश्चात्य इतिहासकार द्वारा मिथ बताये जाने वाले इतिहास की वास्तविकता दिखलाई है |
द्वितीय भाग में –
प्रथम अध्याय में – जलपल्लवन की घटना का उलेख किया है |
द्वितीय अध्याय में – पार्थिव उत्पति का क्रम दर्शाया है |
तृतीय अध्याय में – उद्भिज सृष्टि का प्रदुर्भाव बताया है |
चतुर्थ अध्याय में – स्वाम्भुव मन्वन्तर , ब्रह्मा आदि और सतयुग पर प्रकाश डाला है |
पंचम अध्याय में – आदियुग ,स्वाम्भुव मनु उनका राजपाठ ,मनुस्मृति आदि विषयों पर लिखा है |
षष्टम अध्याय में – पितृयुग ,मानुष नामकरण , सप्त ऋषियों की उत्पति को बताया है |
सप्तम अध्याय में – जम्बूदीप का वर्षविभाग ,भारतवर्ष ,भारत की प्रजा ,भारत का विस्तार दर्शाया है |
अष्टम अध्याय में – चाक्षुष मन्वन्तर और वेन पुत्र राजा पृथु का इतिहास बताया है |
नवम अध्याय में – सतयुग के अंत में असुरो का प्रभाव ,देवयुग ,बारह आदित्यो का परिचय .आदि विषय पर लेखन किया है |
दशम अध्याय में – दक्ष प्रजापति का जीवन वृंत लिखा है |
एकादश अध्याय में –मनु की सन्तान और भारतीय राजवंशो का विस्तार बताया है |
द्वादश अध्याय में – ऐल वंश का परिचय ,विस्तार दिया है |
त्र्योदश अध्याय में – इक्ष्वाकु से ककुत्स्थ तक वंश परिचय है |
चतुर्दश अध्याय में- ऐल पुरुरवा से पुरु तक के वंश का इतिहास है |
पंचदश अध्याय में – बृहस्पति और उशना के काव्यो का परिचय और उनमे इतिहास सामग्री का उलेख दिखाया है |
षोडश अध्याय में – कोसल जनपद अंतर्गत अनेना से मान्धाता तक वंशो का राजकाल बताया है |
सप्तदश अध्याय में –जनमजेय से मतिनार पर्यन्त तक राजाओं की वंशावली तथा ऐतिहासिकता को बताया है |
अष्टादश अध्याय में- चक्रवती शशबिंदु ,मरुत का वर्णन किया है |
एकोनविंश अध्याय में – आनवकुल ,पुरातन पंजाब का स्वरूप बताया है |
विशतित अध्याय में – ऋग्वेद सम्बन्धित लेख
एकविशतितं अध्याय में – मतिनारपुत्र तंसु से अजमीढ पर्यन्त ,चक्रवती भरत , चक्रवती सुहोत्र का इतिहास है |
द्वाविश अध्याय में – पुरुकुत्स से हरिश्चंद पर्यन्त इतिहास है |
त्रयोविश अध्याय में – यादव वंशज हैहय अर्जुन के बारे में है |
चतुर्विश अध्याय में – रोहित से श्री रामचन्द्र पर्यन्त इतिहास है | त्रेता द्वापर संधि का क्रम और इतिहास दर्शाया है |
पंचविशति अध्याय में – त्रेता के अंत की घटनाओं का उलेख है वाल्मीक आदि मुनियों का जीवनवृंत ,रचनाओं का उलेख किया है |
षडविशति अध्याय में – अजमीढ पुत्र ऋक्ष से कुरुपर्यन्त इतिहास है |
सप्तविशति अध्याय में – रामपुत्र कुश से भारतयुद्ध पर्यन्त इतिहास है |
अष्टाविशति अध्याय में – कुरु से भारतयुद्ध पर्यन्त वृतातं और कुरुसालव युद्ध का दर्शन कराया है |
ऊनत्रिशत अध्याय में – भारतयुद्ध से लगभग सौ वर्ष पूर्व आर्यदेश की स्थिति का उलेख है |
त्रिशत अध्याय में – विचित्रवीर्य से भारत युद्ध पर्यन्त इतिहास का लेखा जोखा है |
एकत्रिशत अध्याय में – भारतयुद्ध कालीन भारत देश, उदीच्य देश , मध्यदेश , प्राच्य जनपद , विन्ध्य जनपद ,दक्षिण जनपद आदि जनपदों का विस्तार की जानकारी दी हुई है |
द्वात्रिशत अध्याय में – भारत युद्ध का काल लगभग ३००० विक्रम पूर्व सिद्ध किया है |
त्रियस्त्रियशत अध्याय में – भारतयुध्द के आसपास लिखे वांगमयो का परिचय है |
चतुस्त्रिशत अध्याय में – भारतयुद्ध के पश्चात से आर्षकाल तक के अंत तक का ऐतिहासिक वृत्तांत लिखा है |
पंचत्रिशत अध्याय में – युद्धिष्टर के राजपाठ का उलेख है |
षटत्रिशत अध्याय में – चौबीस इक्ष्वाकु राजाओ का वर्णन है |
सप्तत्रिशत अध्याय में – दीर्घ सत्र से गौतम बुद्ध पर्यन्त इतिहास है |
अष्टात्रिशत अध्याय में – गौतम बुद्ध और महावीर स्वामी आदि के काल और जीवनी का उलेख है |
नवत्रिशत अध्याय में – अवन्ति के राजवंश का उलेख किया है |
चत्वारिशत अध्याय में – वत्सराज उदयन के राजवंश का वर्णन है |
एकचत्वारिशत अध्याय में – बुद्ध से नन्दवंश तक का इतिहास है |
द्विचत्वारिशत अध्याय में –तत्कालीन अन्य राजवंशो का परिचय दिया है |
त्रिचत्वारिशत अध्याय में – नन्द राज्य का दिग्दर्शन कराया है |
चुतुश्चत्वारिशत अध्याय में –मौर्य वंश के उद्गम और राज्य का उलेख किया है |
पंचचत्वारिशत अध्याय में – शुंग राज्य वंश का उलेख है |
षटचत्वारिशत अध्याय में –यवन राज्य आक्रमण आदि समस्याओ का वर्णन है |
सप्तचत्वारिशत अध्याय में – काण्व साम्राज्य का वर्णन किया है |
अष्टचत्वारिशत अध्याय में – आंध्र साम्राज्य और उनके राजाओं का उलेख किया है |
नवचत्वारिशत अध्याय में – विक्रामादित्य प्रथम का राजवंश बताया है |
पंचाशत अध्याय में – आन्ध्रपुरीन्द्रसेन के साम्राज्य का वर्णन है |
एकपंचाशत अध्याय में – अभी तक वर्णित राज्यवंशो का कुल काल निर्धारण किया गया है |
द्विपंचाशत अध्याय में – अभीर , शक , यवन ,तुषार आदि जातियों का इतिहास लिखा है |
त्रिपंचाशत अध्याय में – गुप्त काल का काल निर्धारित किया है |
चतु पंचाशत अध्याय में – गुप्त राजकाल की अवधि बताई है |
पंचपञ्चाशत अध्याय में – गुप्त साम्राज्य का विस्तार ,वंशावली का वर्णन है |
प्रस्तुत पुस्तक इतिहास के शोधार्थियों और इतिहास विशेषज्ञों को नई दिशा प्रदान करेगी |
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