पुस्तक का नाम – भास्कर-प्रकाश
लेखक का नाम – पं. तुलसीराम स्वामी
वर्तमान युग इंटरनेट तथा फैसबुक आदि का युग है। विभिन्न धार्मिक समुदाय इन माध्यमों से अपने-अपने मतों का प्रचार एवं अन्य मतों का तीव्र खण्ड़न भी कर रहे हैं। ऐसे में आर्य समाज और सत्यार्थ प्रकाश पर भी अनेकों आक्षेप होते है। जन जागरूक और वेदों के प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से महर्षि दयानन्द जी ने सत्यार्थ प्रकाश नामक कालजयी ग्रन्थ लिखा था। इस ग्रन्थ पर कई व्यक्तियों नें आक्षेप किया। इन्हीं में से एक आक्षेपात्मक पुस्तक पं. ज्वालाप्रसाद मिश्र द्वारा रचित ‘दयानन्द तिमिर भास्कर’ है। इस पुस्तक का उपयोग कई लोग जो सत्यार्थ प्रकाश पर आक्षेप करते है, अपने-अपने लेखों में करते है। इस पुस्तक में पं. ज्वालाप्रसाद मिश्र ने सत्यार्थ-प्रकाश के 11 समुल्लासों पर विविध आक्षेप किये। इन्हीं आक्षेपों के प्रत्युत्तर में आर्य समाज के विद्वान एवं मनुस्मृति, सामवेद भाष्यकार पं. तुलसीराम स्वामी जी ने “भास्कर प्रकाश” नामक रचना की।
प्रस्तुत पुस्तक “भास्कर प्रकाश” दयानन्द तिमिर भास्कर का खण्ड़न ग्रन्थ है। इसमें ज्वालाप्रसाद द्वारा सत्यार्थ-प्रकाश पर किये गये सभी आक्षेपों का युक्तियुक्त एवं प्रमाणिक ग्रन्थों के प्रमाणों से उत्तर दिया गया है। इस पुस्तक में सत्यार्थ-प्रकाश के 11 समुल्लासों का मंड़न किया हुआ है। जो लोग सत्यार्थ प्रकाश पर अनेकों शङ्काएँ करते है, उनकी शङ्काओं का निवारण इस पुस्तक से सम्भव है। इस पुस्तक के अध्ययन से पाठकों को ज्ञात होगा कि ज्वालाप्रसाद मिश्र ने “सत्यार्थ प्रकाश” पर आक्षेप सत्यासत्य के निर्णय के उद्देश्य से न करके द्वेष और पक्षपात दोष से ग्रसित होकर किये क्योंकि इस पुस्तक में उन्होनें ईश्वरनामव्याख्या, संध्या, अग्निहोत्र, ब्रह्मचर्य जिनकों सर्वसाधारण लोग भी मानते है, उस पर अपनी लेखनी चलाई थी। इसलिए उन पर ये कहावत चरितार्थ होती है –
“येन केन प्रकारेण कुर्य्यात्सर्वस्य खण्ड़नम्”
आशा है कि ये पुस्तक पाठक अवश्य ही अध्ययन करेंगे और सत्यासत्य का निर्णय कर सत्यार्थ प्रकाश के प्रकाश को निष्कलंक पायेंगे और जो विभिन्न माध्यम से अन्य मतों से चर्चा करते है वे भी इस पुस्तक के अध्ययन से उन्हें प्रत्युत्तर देने की योग्यता अर्जित करेंगे।
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