महर्षि दयानन्द सरस्वती ने कुल 7595 मन्त्रों पर भाष्य लिखा है। लेखक ने भाष्यगत-भावार्थों का संकलन आरम्भ किया। प्रत्येक मन्त्र को, मन्त्र के संस्कृत भावार्थ को. पृथक-पृथक चिटो पर लिखा। समस्त चिट लिख जाने के पश्चात् इनका विषयवार वर्गीकरण कर, उनसे जो भावार्थप्रकाश ग्रन्थ तैयार हुआ वह आपके स्वाध्याय के लिए प्रस्तुत है।
उसकी विशेषता हैं कि-वेद का अध्येता एवं शोधकर्ता जिस भी विषय पर प्रमाण चाहेगा, तो उसे तत्सम्बद्ध सभी वेदमन्त्र एवं भावार्थ एक ही स्थान पर संगृहीत मिल जायेंगे। यदि किसी को ईश्वर-विषयक प्रमाणों की आवश्यकता होगी तो उसे इधर-उधर भटकने एवं पन्ने पलटने की आवश्यकता न होगी। फिर चाहे काई विषय हो । शिक्षाशास्त्र का, समाज-शास्त्र का, राजनीति शास्त्र का, योग-शास्त्र का, व्यवहार शास्त्र का एवं आचार. अनाचार, बन्ध-मोक्ष का कोई भी विषय हो, उसे उसी प्रकरण में वेद-प्रमाण एवं भावार्थ मिल जायेगा।
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