श्री के. एम. मुन्शी-यह जानकर प्रसन्नता हुई कि आपने जन-साधारण में वेदों के प्रचार के लिए हिन्दी शतक प्रकाशित किये हैं। इससे वैदिक प्रचार श्रृंखला में नवीन साहित्य की अभिवृद्धि हुई है। आपके प्रयास के लिए शुभकामना चाहता हूँ।
श्री प्रकाशवीर शास्त्री वेदों के सौ-सौ मन्त्रों का उत्तम संग्रह करके आपने प्रकाशित की है, मिलीं। आपका यह प्रयास सचमुच ही स्तुत्य है।
पं. नरदेव शास्त्री वेदतीर्थ-अत्यन्त सुन्दर, सुमनोहर, आकर्षक रूप से मुद्रित हुई हैं। वस्तुतः ऐसे सस्ते साहित्य से ही वेदों का प्रचार होगा।
महात्मा आनन्द भिक्षु जी महाराज आपने यह शुभकार्य करके आर्य जनता को अनुगृहीत किया है।
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