पुस्तक का नाम – दयानन्दोक्त औषधि आरोग्य सूत्र
लेखक का नाम – डॉ. चन्द्रशेखर लोखण्डे (रेणापुरकर)
महर्षि दयानन्द सरस्वती जहाँ योगी, दार्शनिक, समाजसुधारक, वेदज्ञ और राष्ट्रोद्धारक थे, वहीं वे आरोग्यशास्त्र के ज्ञाता भी थे। उन्होनें अपने जीवन काल में यत्र-तत्र वैदिक विचारधारा का प्रसार-प्रचार करते हुए अनेक स्थानों पर रोग पीडित सामान्य लोगों का उपचार किया और औषधि निर्देश भी किया। उन्होनें गरीबों से लेकर महाराजाओं तक को योग्य चिकित्सा दिनचर्या, व्यवहार कुशलता, ब्रह्मचर्य, उत्तम गार्हस्थ जीवन का उपदेश दिया। भारत भ्रमण करते हुए सच्चे योगी और सच्चे ईश्वर की खोज में स्वामी जी को शरीरशास्त्र और आयुर्वेद का पूर्ण ज्ञान हो गया था। इसका सदुपयोग सामाजिक परिवर्तन काल के जन आन्दोलन में विशेष रूप से हुआ। वैदिक धर्म का प्रचार करते हुए उनकी सभाओं के पश्चात् अनेक लोग अपने दुःख दर्द और व्याधियों को उनके सामने प्रस्तुत करते तथा उनसे छुटकारा प्राप्ति के लिए निवेदन करते। स्वामी जी उनको रोगमुक्त कराने हेतु अनेक औषधियों, पथ्य, नुस्खे, आहार-विहार का समुचित निर्देश करते। उनके आरोग्य और औषधि ज्ञान से पता चलता है कि उन्होने आयुर्वेद, वनस्पतिशास्त्र और शरीरशास्त्र का समुचित अध्ययन किया था। पं. लेखराम लिखित स्वामीजी के जीवन चरित्र से अवगत होता है कि स्वामीजी ने देश और समाज को रोगमुक्त और आरोग्यमुक्त कराने का महत्त्वपूर्ण प्रयास किया है। उनकी वाणी और लेखनी से उद्धृत सैकड़ो नुस्खों, औषधियों तथा पथ्यापथ्यादि को इस पुस्तक में उद्धृत किया है। स्वामी दयानन्द द्वारा लिखित 32 ग्रन्थों में यत्र-तत्र बिखरे हुए आरोग्य सूत्रों एवं शरीर और मन को स्वस्थ रखने हेतु दिये गये जीवन व्यवहार के सूत्रों को इकट्ठा कर जिज्ञासुओं के समक्ष इस पुस्तक में प्रस्तुत किया गया है।
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