कर्म के सम्बंध में किसी विस्तृत ग्रंथ के न होने से सदैव इस प्रकार के ग्रंथ की मांग रहा करती थी, हम यह नहीं कह सकते कि इस ग्रंथ से वह आवश्यकता पूरी हो जाएगी, परंतु यह अवश्य होगा कि स्वाध्यायशील विद्वानों के हाथों में विचार करने के लिये बहुत-सी सामग्री आ जायेगी।
कर्म का विषय बड़ा गहन है। आत्मा के साथ स्वभावतः इसका संबंध होने से पूर्वी और पश्चिमी सभी विद्वानों ने जी खोलकर इसके अंग और प्रत्यंगों पर विचार करने का यत्न किया है।
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