पुस्तक का नाम – पाकिस्तान का विष-वृक्ष
लेखक का नाम – राजर्षि पाराशर
हिन्दूस्तान की दो भुजाओं के समान कट कर बना पाकिस्तान आज एक बीती बात हो चुकी है और ‘पूर्वी पाकिस्तान’ श्रीमती इंदिरागांधी की बुद्धिमत्ता से अब पृथक् बांग्लादेश बन चुका है।
किन्तु पाकिस्तान किन परिस्थियों में बना, कौन उसके जिम्मेदार हैं, हिन्दुओं को उन हालातों में क्या-क्या दुःख सहने पड़े, हिन्दुओं के दुःखों का कारण कौन थे, आदि बातों को ऐतिहासिक दृष्टि से जानना, पढ़ना, याद रखना बहुत जरुरी है। क्योंकि इतिहास के वास्तविक तथ्यों की जानकारी न होने से कोई भी जाति पुनः-पुनः धोखा खा जाती है।
‘पाकिस्तान का विष-वृक्ष’ नामक पुस्तक के लेखक श्री श्याम जी पाराशर उस समय के उन राष्ट्रवादी लेखकों में से एक हैं जिन्होने सारे दृश्यों को अपनी आंखो से देखा है, अपने कानों से सुना है, अपनी आत्मा से उस पीड़ा को अनुभव किया है। यही कारण है कि इनके द्वारा वर्णित सभी तथ्य यथार्थ हैं, घटनाएं वास्तविक हैं। हमारे हिन्दू भाई किस प्रकार उजड़े, किस प्रकार भूखे-प्यासे दिन बिताये, किस प्रकार सड़कों पर रुलते रहे, किस प्रकार उन्होंने मजबूत होकर अपनी आंखों के सामने अपनी बहू-बेटियों की इज्जत को लुटते देखा। उनका ध्यान करके आज भी रोम-रोम कांपने लगता है। उस पर भी भारतीय के तत्कालीन नेता हिन्दुओं की उपेक्षा करते रहे और अत्याचारी मुस्लमानों की तुष्टि में लगे रहे। लेखक का कहना है कि इस सारे पाप की जिम्मेदारी और भागीदारी तत्कालीन कांग्रेस रही है। कांग्रेस के उस पाप को आज की नयी पीढ़ियों ने भुला दिया है।
प्रत्येक देश के प्रबुद्ध नागरिकों को अपने देश के इतिहास और परिस्थियों का ज्ञान होना चाहिए और अवश्य होना चाहिए। पाठक इसको पढे़, इससे शिक्षा लें और अपने भविष्य को सुधारें।
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