पुस्तक का नाम – प्रारम्भिक रचनानुवादकौमुदी
लेखक का नाम – डॉ. कपिलदेव द्विवेदी
जो व्यक्ति संस्कृत का तनिक भी ज्ञान नहीं रखते हैं तथा जिनकी संस्कृत सीखने की प्रबल इच्छा है किन्तु कोई भी उचित और सरल मार्ग प्राप्त नहीं हो रहा है तो वे प्रस्तुत पुस्तक के द्वारा अपने संस्कृत सीखने के स्वप्न को आसानी से साकार कर सकते हैं।
प्रस्तुत पुस्तक प्रारम्भिक रचनानुवाद कौमुदी को लिखने का उद्देश्य यह है कि प्रारम्भिक छात्रों की आवश्यकता की पूर्ति करना। किस प्रकार कोई भी विद्यार्थी 2 या 3 मास में निर्भीक होकर सरल और शुद्ध संस्कृत लिख तथा बोल सकता है, इसका ही प्रकार उपस्थित किया गया है। ‘संस्कृत भाषा क्लिष्ट भाषा है’ इस लोकापवाद का खंड़न करना इस पुस्तक का मुख्य उद्देश्य है। संस्कृत के प्रारम्भिक छात्रों के लिए जितने व्याकरण का ज्ञान अत्यावश्यक है, उतना ही अंश इसमें दिया गया है।
प्रस्तुत पुस्तक की विशेषताऐं –
यह पुस्तक कुछ नवीनतम विशेषताओं के साथ प्रस्तुत की गयी है।
हिन्दी, संस्कृत तथा इंग्लिश् में अभी तक इस पद्धति से लिखी गयी अन्य कोई पुस्तक नहीं है।
जर्मन, रूसी भाषा सिखाने में कुछ इस प्रकार की पद्धतियों की पुस्तकें हैं, उन्ही नवीन शैलियों को इस पुस्तक में अपनाया गया है।
इस पुस्तक में 20 अभ्यास दिये गये हैं। प्रत्येक अभ्यास में 20 नये शब्द हैं। इस प्रकार इस पुस्तक में 600 अत्यावश्यक मौलिक संस्कृत शब्दों का शब्दकोश है।
पुस्तक में संस्कृत भाषा को सरल, सुबोध और सुगम बनाकर प्रस्तुत किया गया है जिससे छात्रों को संस्कृत सीखने में किसी भी प्रकार की कठिनाईयाँ न हो।
पुस्तक के अंत में आवश्यक सभी रूप, धातु – रूप, संख्याएँ, सन्धि नियम, 10 मुख्य प्रत्ययों से बने धातुओं के परिशिष्ट दिये हुये हैं।
आशा है कि प्रस्तुत संस्करण विद्यार्थियों के लिए विशेष उपयोगी होगा तथा उन्हें संस्कृत सीखने का एक सुलभ मार्ग प्रशस्त करेगा।
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