सबसे प्राचीन ग्रन्थ है। आईए, हम अपनी संस्कृति पर गर्व करना सीखें। वेद के स्वाध्याय का व्रत लें। वेद पढ़ें-पढ़ाएँ, सुनें और सुनाएँ । वेद को अपने जीवन में उतारें और अपने जीवनों को दिव्य और भव्य बनाएँ। इस संस्करण की अपनी कुछ विशेषताएँ हैं 1. इसकी टाइप अन्य संस्करणों की अपेक्षा मोटी रक्खी गई है। 2. शुद्धतम छापने का प्रयत्न किया गया है। हमारे विचार में इस संस्करण में आदि से अन्त तक कोई अशुद्धि नहीं होगी। इस ग्रन्थ के ईक्ष्यवाचन प्रूफ रीडिंग, में वेदरत्न श्री केशव सीताराम जोगलेकर गोकर्ण, कर्नाटक तथा उनके शिष्यों ने जो बहुमूल्य सहयोग दिया है, तदर्थ उन्हें हार्दिक धन्यवाद ।
गुरुकुलों में अभ्यास के लिए, वेद पाठ के लिए, वेद परायण यज्ञों के लिए तथा वेद-मन्त्रों को कण्ठस्त करने के लिए ऋग्वेद (मूल मात्र) का यह संस्करण अत्यन्त उपर्युक्त है।
Reviews
There are no reviews yet.