अपने युग के अद्वितीय विद्वान् तथा धर्म संशोधक महर्षि दयानन्द सरस्वती ने स्वजीवन काल में सहस्रों व्याख्यान व प्रवचन दिये, किन्तु महाराष्ट्र की काशी पूणे नगरी में दिये गये उनके कतिपय व्याख्यानों के अतिरिक्त उनके अन्य भाषण व प्रवचन न तो लिपिबद्ध हो सके और न उनका विस्तृत विवरण उपलब्ध होता है।
इस ग्रन्थ के अध्ययन से स्वामी दयानन्द की व्याख्यान शैली से पाठकों को रूबरू होने का अवसर मिलेगा, साथ ही उनके अपार वैदुष्य, परगामी शास्त्र ज्ञान, उन्कृष्ट तर्क कौशल, वाक्यातुर्य तथा प्रतिपादन-कौशल से भी परिचित हो सकेंगे।
अनेक ऐसे प्रश्न और प्रसंग जो अन्य ग्रन्थों में व्याख्यात नहीं किये जा सके उन्हे स्वामीजी ने इन व्याख्यानों में स्पष्ट किया है।
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