प्रस्तुत पुस्तक ‘सात कदम मेरे संग’ के नाम से ही परिलक्षित होता है, कि यह विवाह योग्य युवाओं के लिए लिखी गयी है। इस पुस्तक का मूल विषय यह है कि गृहस्थाश्रम में प्रवेश से पूर्व नवयुवक एवं नवयुवतियां क्या तैयारी करें ताकि वे इस आश्रम में आनन्दपूर्वक निर्वाह करते हुए प्रसाद स्वरूप सुसन्तान प्राप्त कर सकें। इसी को ध्यान में रखते हुए कि विवाह का प्रथम कदम वर-वधू का चुनाव एक बहुत ही कठिन कार्य होता है। एक वैज्ञानिक विधि का अनुसन्धान किया गया है इसके लिए डॉ. देवशर्मा बेदालंकार प्रशंसा के पात्र हैं जिनके अथक परिश्रम से यह सम्भव हो सका सुधी पाठको ! अब यह कठिन कार्य भी अति सरल हो गया। बस आपको इसकी जानकारी बच्चों तक पहुंचानी है।
पुस्तक के साथ प्रश्नावली रूप में ‘मिलन पत्रिका’ संलग्न है जिसमें वर-वधू के गुण-कर्म-स्वभाव मिलाने की वैज्ञानिक विधि दी गई है।
हमारी प्राचीन पद्धति के अनुसार हम वर-वधू के गुण-कर्म-स्वभाव मिलाकर ही विवाह किया करते थे। जिसके कारण दम्पती अपने जीवन के आनन्द को प्राप्त करते थे और उनकी सन्तान भी उत्तम हुआ करती थी। आज फिर उसी विधि को जन-जन तक पहुँचाने का प्रयास किया जा रहा है। इस विधि में कुछ ऐसे प्रश्न तैयार किये गये हैं जो दोनों को दिये जायेंगे। वे दोनों अलग-अलग अपनी समझ के अनुसार उत्तर देंगे। हम इनको मिलाकर बताएंगे कि उनके गुण-कर्म-स्वभाव मिलते हैं या नहीं।
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