पुस्तक का नाम – संस्कार भास्कर
लेखक – स्वामी विद्यानंद सरस्वती जी
महर्षि दयानन्द जी आर्ष मान्यताओं और सिद्धांतों के प्रचारक रहे हैं,स्वामी दयानन्द जी ने समाज और धर्महित में अनेकों दुर्गम कार्य किये,स्वामी दयानन्द सरस्वती ने देशहित और धर्म हित में अनेकों दुर्गम कार्य किये है,है,है उन्होंने सत्यार्थ प्रकाश, ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका, संस्कार-विधि जैसे ग्रंथों की रचना की तथा भारतवासियों को अपने प्राचीन गौरव, संस्कारों से परिचित करवाया। स्वामी जी ने भारतीयों को विभिन्न विदेशी आक्रमण और कुरूतियों के कारण क्षीण हुए संस्कारों से परिचित करवाने के लिए वेदाङ्गों के अंतर्गत गृह्यसूत्रों से संस्कार विधि नामक पुस्तक का सृजन किया। इसमें १६ संस्कारों का परिचय, विनियोग और विधान हैं।
स्वामी जी के इस ग्रन्थ पर भूमिका सहित सविस्तार व्याख्यान स्वामी विद्यानंद सरस्वती जी ने संस्कार भास्कर नाम से लिखा हैं। यह ग्रन्थ सत्यार्थ भास्कर, भूमिका भास्कर के समान ऋषि दयानन्द के ग्रन्थ का व्याख्यान हैं। इसमें ऋषि द्वारा दिए गये प्रत्येक सूत्र और श्लोक का निश्चित प्रमाण और तत्सम्बन्धित अन्य ग्रंथों में आये उसी समरूप कथनों को उद्धृत किया गया हैं। अनेकों जगह संस्कार विधि के प्रथम संस्करण के तुलनात्मक पाठ भी दिए हैं। संस्कार विधि में आये संस्कारों की शास्त्रीय व्याख्या के साथ-साथ तर्क और वैज्ञानिक उहा भी लेखक ने की हैं जिससे प्रत्येक जिज्ञासु तार्किक भारतीय के संदेह का निवारण हो सकें। पुस्तक के प्राक्कथन में संस्कारों का मूल वेद और विभिन्न गृह्यसूत्रों में आये संस्कारों का उल्लेख किया हैं।
आर्य सिद्धांतों और संस्कारों की प्रमाणिकता और उनके स्वजीवन में क्रियात्मक रूप देने के लिए पाठकों को इस ग्रन्थ का अवश्य अध्ययन करना चाहिए।
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