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संस्कृत पठन पाठन की अनुभूत सरलतम विधि

Sanskrit Pathan Paathan Ki Anubhoot Saralatam Vidhi

500.00

Subject : Learning Sanskrit Grammar
Edition : 2023
Publishing Year : 2023
SKU # : 36896-PP00-0H
ISBN : N/A
Packing : 2 Vol.
Pages : 611
Dimensions : 14X22X6
Weight : 691
Binding : Paperback
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पुस्तक का नाम संस्कृत पठन पाठन की अनुभूत सरलतम विधि

लेखक का नाम पण्डित ब्रह्मदत्त जिज्ञासु

व्याकरण के बिना संस्कृत भाषा में प्रवेश या उस पर अधिकार नहीं होता, किन्तु लघुकौमुदी, मध्यमकौमुदी और सिद्धान्त कौमुदी ग्रन्थ संस्कृत के पठन पाठन और उसके प्रचार में दीवारसी खड़े हो गए हैं। जो कोई भी संस्कृत पढ़ना आरम्भ करता है, उसको लघुकौमुदी के विना समझाए सूत्र ही नहीं, अपितु सूत्रों से चौगुने अर्थ भी रटने के लिए बाधित किया जाता है। परिणामतः व्याकरण पर आयी किसी की रत्तीभर श्रद्धा भी नष्ट हो जाती है। इसीकारण संस्कृत व्याकरण के अध्ययन को अत्यधिक कठिन और नीरस विषय समझा जाने लगा है।
इसके लिए विद्यार्थियों को ऐसे पाठ्य क्रम की आवश्यकता है जिससे कि बिना रटे और अत्यन्त सरलता से संस्कृत के पठन और पाठन हो सके। इसी उद्देश्य की पूर्त्ति को ध्यान में रखते हुये ब्रह्मदत्त जिज्ञासु जी और युद्धिष्ठिर मीमांसक जी ने संस्कृत पठन-पाठन की अनुभूत सरलतम विधिपुस्तक को दो भागों में लिखा है। यह दोनो पुस्तकें सरलतम विधि से संस्कृत सीखने का मार्ग तो प्रशस्त करती ही है साथ ही संस्कृत के प्रति, अष्टाध्यायी के प्रति विद्यार्थी की रूचि को भी बनाती है।
प्रस्तुत संस्करण की विशेषतायें
1) इस संस्करण के प्रथम भाग में 44 अध्याय है और द्वितीय भाग में 15 अध्याय है।
2) इस संस्करण में भू, एध् की सिद्धि दी गई है जो अन्य संस्करणों में अप्राप्य है।
3) इस संस्करण में दो परिशिष्ट अतिरिक्त है। प्रथम परिशिष्ट सन्धि का चार्ट और द्वितीय परिशिष्ट अष्टाध्यायी के मुख्य मुख्य विषयों परिचय है।
4) द्वितीय भाग में कारक, विभक्ति, समास, कृदन्त, तद्धितान्त नाम शब्दों और धातुओं की प्रक्रिया दी गई है।
5) प्रथम भाग से अवशिष्ट संज्ञा परिभाषाओं तथा लिङ्ग विधायक सूत्रों का भी सन्निवेश किया है।

ये पुस्तके संस्कृत के जिज्ञासु विद्यार्थियों और संस्कृत व्याकरण के अध्येताओं के लिए अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होगी।

 

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