पुस्तक का नाम – श्रीमद्दयानन्द प्रकाश
लेखक का नाम – स्वामी सत्यानन्द
स्वामी दयानन्द जी भारत के महान धर्म प्रचारकों में चन्द्रमां के समान सुशोभित है। महर्षि दयानन्द के कारण ही अनेकों लोगों की अन्तरात्मा में आस्तिक भाव की ज्योति प्रकट हुई थी। स्वामी जी ने जीवनभर धर्म और राष्ट्र की उन्नति के लिए संघर्ष किया था और अनेकों कुरुतियों के खिलाफ आवाज उठाई थी। स्वामी जी ने वैदिक मत का सर्वत्र प्रचार-प्रसार किया और अनेकों अनमोल ग्रन्थ रूपी मोती भारतीय जनता को दिये। स्वामी जी ने ग्रन्थ रचना के साथ-साथ शास्त्रार्थ और अवैदिक मतों का खण्डन भी किया, जिसका उद्देश्य सत्य का प्रचार-प्रसार था। स्वामी दयानन्द के द्वारा रचित साहित्य तो सभी के लिए मार्गदर्शक है ही किन्तु उनका जीवन चरित्र भी सभी के लिए प्रेरणादायक है। स्वामी जी के जीवन पर अनेकों पुस्तकें लिखी जा चुकी है किन्तु स्वामी सत्यानन्द जी द्वारा लिखी गई पुस्तक “श्रीमद्दयानन्द प्रकाश” एक अनोखी और मनोहर गद्यात्मक शैली में लिखा हुआ रोचक ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ के अध्याय का विभाजन रामायण के आधार पर काण्ड़ और सर्ग रूप में किया गया है। इसमें स्वामी दयानन्द जी के चरित्र का मार्मिक और भावनात्मक चित्रण किया है। इस पुस्तक को लेखक ने पांच वर्षों के अथक परिश्रम और पर्य्यटन के आधार पर लिखा है। लेखक ने कई स्थानों से ऋषि दयानन्द से सम्बन्धित सामग्री को इकट्ठा किया और अनेकों समाचार पत्रों और ऋषि दयानन्द के अनेकों वृद्ध अनुयायियों के द्वारा प्राप्त सामग्रियों का पुस्तक में संकलन किया है। इस पुस्तक में देवेन्द्रनाथ जी और पं. लेखराम जी की सामग्रियों का भी उपयोग किया है। आशा है कि स्वामी जी पर लिखा हुआ यह जीवन चरित्र अवश्य ही पाठकों में ऋषि दयानन्द के समान ही श्रेष्ठ गुणों का विकास करेगा।
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