पुस्तक का नाम – श्रुति सौरभ
लेखक – शिवकुमार शास्त्री
यह पुस्तक ५३ वैदिक प्रवचनों का सङ्ग्रह है। इस व्याख्या में लेखक की विद्वता, बहुज्ञता, शास्त्र परायणता और सुलझे हुए विचारों की ऐसी श्रृंखला मिलती है कि पाठक भाव-विभोर हो जाएँ। वेद मन्त्र की व्याख्या इस तरह की है कि ऐसा लगता है कि हम किसी साहित्य के रस से ओत-प्रोत कोई सरस निबन्ध पढ़ रहे हैं।
पुस्तक में कहीं-कहीं प्रसंग के अनुरूप, वाल्मीकि रामायण और महाभारत के उदाहरण हैं, जिनसे प्रायः अनेक लोग अनभिज्ञ थे, जैसे दूसरे अध्याय में कर्ण और दुर्योधन का प्रसंग।
चौथे लेख में भर्तृहरि का एक श्लोक दिया है तथा उसका ऐसा युक्ति-युक्त उत्तर दिया है कि नास्तिक भी परमात्मा की बुद्धिमत्ता सत्ता को स्वीकार किये बिना नहीं रहेगा। सातवें लेख में ईश्वरीय ज्ञान वेद और उसका स्वरूप, इस लेख में मानवीय भाषा की और ज्ञान की उत्पति कैसे होती है, इस पर वैज्ञानिकों के उद्धरण से सर्वथा नया प्रकाश डाला है।
इस लेख में विकासवाद के प्रचलित सिद्धांतों का युक्ति-युक्त खंडन किया है।
जिस प्रकार पंडित विष्णु शर्मा ने पंचतन्त्र की कथाओं से राजपुत्रों को राजनीति में निपुण बना दिया था, उसी प्रकार इन लेखों से सामान्य व्यक्ति भी अच्छा वक्ता, उपदेशक बन सकता है।
पाठक साहित्य रस के आस्वादन के लिए ही लेखों को बार-बार पढ़ेंगे तथा लाभान्वित होंगे।
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Shruti Saurabh
श्रुति सौरभ
Shruti Saurabh
₹250.00
In stock
Subject : Shruti Saurabh
Edition : 2022
Publishing Year : 2022
SKU # : 37149-VG00-0H
ISBN : 9788170770961
Packing : HardCover
Pages : 424
Dimensions : 14X22X6
Weight : 565
Binding : HardCover
Description
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