उपनिषदों पर अनेक विद्वानों ने भाष्य टीका-टिप्पणियाँ लिखी है, हम उन सभी विद्वानों का सम्मान करते हुए, स्वामी दर्शनानन्द जी के भाष्य को सर्वोत्तम मानते हैं। यद्यपि स्वामी दर्शनानन्द जी ने इन उपनिषदों का भाष्य उर्दू भाषा में किया था परन्तु बाद में वेद-दर्शन, उपनिषदादि के महान् मर्मज्ञ, अनेक भाषाओं के विद्वान् स्वामी वेदानन्द (दयानन्दतीर्थ) ने इसका हिन्दी भाषान्तर, स्थान-स्थान पर अनेक उपयोगी टिप्पणियाँ तथा उपनिशत्सार लिखकर सोने पर सुहागा लोकोक्ति को चरितार्थ कर दिया।
उपनिषदों के ज्ञान ने सिद्ध कर दिया है कि मनुष्य की आत्मिक, मानसिक और सामाजिक आवश्यकताएँ किस प्रकार पूर्ण हो सकती है। उपनिषदों में प्रतिपादित ज्ञान केवल एक बार सुनने से ही हृदय में नहीं बैठता। बार-बार श्रवण और बार-बार मनन करने से उसका रहस्य खुलता है। यहाँ प्रथम छः उपनिषदों का भाष्य प्रस्तुत है। निःसन्देह उपनिषदों के रहस्य इतने स्पष्ट किसी भी टीका में नहीं समझाये गये।
Reviews
There are no reviews yet.